नई दिल्ली: चीनी फंडिंग से भारत विरोधी प्रोपेगेंडा फैलाने के आरोपों में घिरे मीडिया संस्थान न्यूज़क्लिक (NewsClick) के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और इसके मानव संसाधन विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती ने आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) (UAPA) अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में उनकी गिरफ्तारी और पुलिस हिरासत को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
पूर्व कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने सिब्बल से मामले के कागजात प्रसारित करने को कहा और कहा कि वह मामले की लिस्टिंग पर फैसला लेंगे।
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला ने UAPA मामले के तहत दिल्ली पुलिस द्वारा 13 अक्टूबर को हुई पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि दिल्ली पुलिस को 24 घंटे के भीतर उनकी गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित करने और लिखित रूप में ऐसे आधार प्रदान करने की आवश्यकता वाले प्रावधान UAPA में अनिवार्य नहीं थे। इसके अतिरिक्त, उच्च न्यायालय ने कपिल सिब्बल के इस दावे को भी खारिज कर दिया था कि उनकी गिरफ्तारी और उसके बाद पुलिस रिमांड के संबंध में कोई "प्रक्रियात्मक कमज़ोरियाँ" या कानूनी या संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन था।
पुरकायस्थ और चक्रवर्ती के वकील कपिल सिब्बल ने उच्च न्यायालय में दलील दी थी कि उन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तारी का आधार नहीं दिया गया था और उनके आवास पर एक न्यायाधीश द्वारा पारित उनका रिमांड आदेश उनके वकीलों की अनुपस्थिति में यांत्रिक तरीके से पारित किया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि आतंकवाद विरोधी कानून UAPA के तहत जांच अधिकारियों द्वारा एकत्र की जा रही जानकारी या खुफिया जानकारी की संवेदनशीलता का राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर सीधा प्रभाव पड़ने का अधिक महत्व है।
बता दें कि, भारत की अखंडता को बाधित करने और देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए चीन से बड़ी मात्रा में धन प्राप्त करने के आरोप में पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को दिल्ली पुलिस ने 3 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ दर्ज की गई FIR में आगे आरोप लगाया गया है कि न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक पुरकायस्थ ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए एक समूह के साथ साजिश रची। दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद दोनों को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था और फिलहाल वे न्यायिक हिरासत में हैं।
विवादित मामले और कपिल सिब्बल की वकालत:-
बता दें कि, कांग्रेस में 40 साल तक सेवाएं देने वाले कपिल सिब्बल अक्सर ऐसे मामलों में पैरवी करते नज़र आते हैं, जो जनता की नज़रों में विवादित होते हैं। अयोध्या में राम मंदिर के विरोध में केस लड़ने वाले कपिल सिब्बल ही थे, उन्होंने ही तीन तलाक को बरक़रार रखने की वकालत की थी, वे 2020 दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद को रिहा करवाने के लिए भी लड़ रहे हैं। जम्मू कश्मीर में 370 वापस लागू करवाने में वकील कपिल सिब्बल की कोशिशें जारी हैं, उन्होंने CAA-NRC के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ा। चारा घोटाले में लालू यादव को जमानत दिलवाई, कई मामलों के बावजूद आज़म खान को जेल से बाहर निकलवाया। अभी वही कपिल सिब्बल, यूपी के माफिया डॉन मुख़्तार अंसारी पर से 'गैंगस्टर' का ठप्पा हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जोर लगा रहे हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो जमीन घोटाले और कोयला घोटाले में घिरे हुए हैं, उन्हें ED ने कई बार पूछताछ के लिए समन भेजा है, लेकिन वे पूछताछ में पेश नहीं हो रहे हैं। अब हेमंत सोरेन, कपिल सिब्बल के जरिए ही अदालत में ED के समन को चुनौती दे रहे हैं, ताकि उन्होंने पूछताछ में जाना ही न पड़े। इसके अलावा भी कई मामले हैं, जो यह सवाल उठाते हैं कि, कपिल सिब्बल के लिए अपना पेशा पहले है या देश ?
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