धार: धार भोजशाला पर हक जताने के लिए जैन समाज ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले में पहले से ही मुस्लिम एवं हिंदू पक्ष द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। जैन समाज की याचिका में यह दावा किया गया है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) द्वारा किए गए सर्वे के चलते जैन तीर्थकरों की मूर्तियां भी प्राप्त हुई थीं। भोजशाला परिसर में एक जैन गुरुकुल और जैन मंदिर भी स्थित था। पहले इस मामले को लेकर जैन समाज ने इंदौर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जो खारिज कर दी गई थी।
वही अब जैन समाज ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। याचिका में उल्लेख किया गया है कि 1875 में भोजशाला की खुदाई के चलते जैन यक्षिणा अंबिका की मूर्ति प्राप्त हुई थी, जो वर्तमान में ब्रिटिश संग्रहालय में सुरक्षित है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है। उच्च न्यायालय के पास एएसआई की सर्वे रिपोर्ट भी पहुंच चुकी है। मुस्लिम पक्ष ने भी सर्वे के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वे के बारे में कोई निर्देश नहीं दिए, किन्तु उच्च न्यायालय को सर्वे के आधार पर फैसला न लेने की सलाह दी थी। हिंदू पक्ष ने भी हाल ही में रोक हटाने के लिए याचिका दायर की है।
उच्च न्यायालय के निर्देश पर मार्च में एएसआई द्वारा किए गए सर्वे में कार्बन डेटिंग तकनीक एवं जीपीआरएस जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया। सर्वे की वीडियोग्राफी भी की गई, और 2000 पेज की रिपोर्ट उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई। 1902 में भी भोजशाला का सर्वे किया गया था, जिसमें पाया गया था कि इसकी वास्तुकला भारतीय शैली की है तथा वहां संस्कृत शब्द, हिंदू चिन्ह और भारतीय मंदिरों जैसी शैली का निर्माण है। उस रिपोर्ट में भोजशाला की जमीन के टाइटल में मस्जिद का भी उल्लेख था, जिसे आधार बनाते हुए मुस्लिम समाज भी भोजशाला पर अपना हक जताता है।
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