बिजनौर: देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान 20 दिसंबर 2019 को यहां कथित रूप से पुलिस की गोलीबारी में मारे गए एक आईएएस आकांक्षी युवक के परिजनों ने इसके लिए छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराया है. बिजनौर जिले के नाहतौर गांव में जब 20 दिसंबर 2019 को हिंसा भड़की तो अनस (21) और सुलेमान (20) कथित रूप से पुलिस की गोलीबारी में घायल हो गए. दोनों को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां अनस को मृत घोषित कर दिया गया और सुलेमान की इलाज के दौरान मौत हो गई. बाद में पुलिस ने स्वीकार किया कि उनकी गोली से सिर्फ अनस की मौत हुई, सुलेमान की नहीं हुई.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुलेमान के परिजनों ने अब छह पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया है कि सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान वह पुलिस गोलीबारी में घायल हो गया था. वहीं शिकायत के अनुसार, सुलेमान के परिवार ने आरोप लगाया है कि जुमे की नमाज के बाद वह घर लौट रहा था, जब उसे थाना प्रभारी (एसएचओ) राजेश सोलंकी, बिजनौर प्रभारी आशीष तोमर और कुछ कांस्टेबलों ने रोक दिया. जिसके बाद परिवार ने दावा किया कि पुलिसकर्मियों ने सुलेमान को एक गली में खींच लिया, जहां मोहित नामक एक कांस्टेबल ने अन्य पुलिस अधिकारियों के आदेश पर सुलेमान को गोली मार दी.
आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि शिकायत में यह भी दावा किया गया है कि यह घटना वहां कई लोगों ने देखी, और वे लोग पुलिस के डर से कुछ नहीं बोल रहे हैं. सुलेमान के परिवार ने दावा किया कि पुलिस उसे गली में ही छोड़ गई, जहां सुलेमान के परिजन पहुंचकर उसे अस्पताल ले गए, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. इसके बाद पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम कराया और 21 दिसंबर को शव परिजनों के हवाले कर दिया. आरोप है कि पुलिस ने सुलेमान के परिजनों को उसका शव उसके पैत्रिक गांव नाहतौर में नहीं दफनाने दिया. वहीं उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पहले ही एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित कर दी है, जो प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मालमों की जांच में लगी हुई है.
तीन दोस्त संभालेंगे देश की तीनों सेनाओं की कमान, अब नहीं चलेगा दुश्मन का ना 'पाक' प्लान
शपथग्रहण समारोह के पहले बड़ा विस्फोट, जाने क्या है पूरी बात
ठाकरे के खिलाफ आयी विवादित टिप्पणी, शिवसेना ने दिया मुहतोड़ जबाव