शराब घोटाले के बाद अब 'जासूसी कांड' में घिरी केजरीवाल सरकार, कांग्रेस की मांग पर LG ने बिठाई जांच

शराब घोटाले के बाद अब 'जासूसी कांड' में घिरी केजरीवाल सरकार, कांग्रेस की मांग पर LG ने बिठाई जांच
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नई दिल्ली: शराब घोटाला सहित भ्रष्टाचार के अन्य मामलों में बुरी तरह घिरी दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नज़र आ रहीं हैं। दरअसल, केजरीवाल सरकार पर फीडबैक यूनिट द्वारा नेताओं की जासूसी कराने का इल्जाम लगा था। इस मामले में कांग्रेस नेताओं ने NIA से जाँच कराते हुए मनीष सिसोदिया को अरेस्ट करने की माँग की थी। अब इस मामले को दिल्ली के उप-राज्यपाल (LG) ने मुख्य सचिव को भेजते हुए कार्रवाई करने के लिए कहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के LG ऑफिस द्वारा कहा गया है कि कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित, प्रोफेसर किरण वालिया और मंगत राम सिंगल द्वारा जासूसी कांड की जाँच कराने की माँग की गई थी। इसके साथ ही इन नेताओं ने मांग की थी कि इसकी जाँच गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) से कराई जाए। अब इस मामले में LG ने संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव को कहा है कि वह इस पर जरूरी कार्रवाई करें।

चूँकि अब मामला मुख्य सचिव के पाले में है, ऐसे में अब देखना होगा कि वह इस मामले की जाँच NIA से कराने के लिए कार्रवाई करते हैं या नहीं। वैसे जासूसी कांड मामले में CBI पहले ही छानबीन कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गत 22 फरवरी को मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत केस दर्ज करने की इजाजत दे दी थी। वर्ष 2015 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) का कंट्रोल चाहते थे। मगर इसमें उन्हें कामयाबी नहीं मिली। 

इसके बाद केजरीवाल ने अपने सतकर्ता विभाग के तहत फीडबैक यूनिट बनाने का निर्णय लिया। इस यूनिट का उद्देश्य दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाली संस्थाओं की मॉनिटरिंग करते हुए सुधार के लिए फीडबैक देना था। हालाँकि, आरोप है कि केजरीवाल सरकार के इशारे पर इस फीडबैक यूनिट ने विपक्षी पार्टियों के नेताओं की जासूसी करनी शुरू कर दी। कई नेताओं के कामकाज पर भी निगाह रखने का इल्जाम है।

CBI ने आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने 2015 में कैबिनेट की मीटिंग में फीडबैक यूनिट के लिए प्रस्ताव पेश किया था। मगर, इसके लिए कोई एजेंडा नोट वितरित नहीं किया गया। फीडबैक यूनिट में नियुक्तियों के लिए LG से भी कोई स्वीकृति नहीं ली गई थी। CBI ने अपनी शुरूआती रिपोर्ट में कहा है कि फीडबैक यूनिट ने अनिवार्य जानकारी जुटाने के अलावा राजनीतिक खुफिया जानकारी भी एकत्रित की है।

CBI ने फरवरी 2016 और सितंबर 2016 के बीच फीडबैक यूनिट द्वारा जारी रिपोर्टों का भी विश्लेषण किया। इन रिपोर्ट्स के आधार पर सामने आया कि इसमें से 40 फीसद रिपोर्ट सियासी दलों के नेताओं की जासूसी पर हैं। साथ ही CBI ने कहा है कि फीडबैक यूनिट के निर्माण और काम करने के गैरकानूनी तरीके से सरकारी खजाने को करीब 36 लाख रुपए का नुकसान हुआ है।

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