सुकमा : बुरकापाल में हाल ही में हुई नक्सली वारदात में सूचना तंत्र भंग होने के कारण का खुलासा हुआ है. सीआरपीएफ जवानों के अनुसार मुखबिरी के आरोप में पूर्व सरपंच की हत्या किए जाने के बाद से डर के मारे ग्रामीणों ने जवानो से बात तक करना बंद कर दिया था. इसलिए नक्सली गतिविधियों की जानकारी नहीं मिल पाई.
इसके बारे में बुरकापाल में तैनात सीआरपीएफ जवानों ने बताया कि 9 मार्च को माओवादियों ने मुखबिरी का आरोप लगाकर जनअदालत में पंचायत के पूर्व सरपंच माड़वी दूला (57) हत्या कर दी थी. पूर्व सरपंच की हत्या से भयभीत ग्रामीणों ने जवानों को नक्सली गतिविधियों की सूचनाएं तो देना दूर ठीक से बातचीत करना बंद कर दिया. शायद उन्हें यह डर था कि जवानों से बात करते देख लिए जाने पर मुखबिरी किए जाने का आरोप लगाए जाने की आशंका थी. जवानों ने बताया कि बीते डेढ़ माह से बुरकापाल के ग्रामीणों का व्यवहार एकदम से बदल गया था.
वहीं दूसरी ओर अपने साथियों के मारे जाने से जवानों का खून खौल रहा है. वे बदला लेने के लिए तड़प रहे हैं. बुरकापाल सीआरपीएफ कैंप में तैनात 74 बटालियन के जवान एके पाण्डेय, विकास कुमार, चंद्रकांत व मनोज ने बताया कि केंद्र सरकार अगर उन्हें फ्री-हैंड दे और राज्य पुलिस का सहयोग मिला तो वे एक माह में ही नक्सलियों का सफाया कर देंगे.
अपनी समस्या बताते हुए जवानों ने कहा कि नक्सली ग्रामीण बनकर बिना हथियार लिए जवानों के आसपास आराम से घूमते-फिरते रहते हैं और कुछ देर बाद ऑटोमेटिक हथियार लेकर गोलियां बरसाते हैं. ग्रामीणों से कड़ाई से पूछताछ करने की छूट भी जवानों को नहीं है. उधर सोमवार को बुरकापाल में हुए नक्सली हमले में 25 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के विरोध में मंगलवार को दोरनापाल इलाका पूरी तरह से बंद रहा.
यह भी देखें