नई दिल्ली: कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को मिशनरीज ऑफ चैरिटी के लिए FCRA पंजीकरण को नवीनीकृत करने से केंद्र सरकार के इनकार का हवाला देते हुए दावा किया कि मुसलमानों के बाद, अब ईसाई, हिंदुत्व ब्रिगेड का नया टार्गेट बन गए हैं। चिदंबरम ने यह भी दावा करते हुए कहा कि मुख्यधारा की मीडिया ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी (MoC) से संबंधित गृह मंत्रालय की कार्रवाई की खबर को अपने पन्नों से हटा दिया। उन्होंने इसे "दुखद और शर्मनाक" बताया है।
चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, 'MoC के नवीनीकरण की अस्वीकृति उन गैर सरकारी संगठनों पर सीधा हमला है, जो भारत के 'गरीब और अतिदुखी' लोगों के लिए जन सेवा कर रहे हैं।' चिदंबरम ने लिखा कि, 'MoC के मामले में, यह ईसाई धर्मार्थ कार्यों के प्रति पूर्वाग्रह और पूर्वाग्रह को दर्शाता है। मुसलमानों के बाद, ईसाई हिंदुत्व ब्रिगेड के नए टार्गेट हैं।' गौरतलब है कि चिदंबरम ने कल ट्वीट करते हुए कहा था कि, 'कोलकाता, पश्चिम बंगाल में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के लिए भविष्य में विदेशी योगदान को नकारने से अधिक हैरान करने वाला कुछ नहीं हो सकता है। यह मदर टेरेसा की स्मृति का सबसे बड़ा अनादर है, जिन्होंने भारत के 'गरीबों और दुखियारो' की देखरेख के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।'
चिदंबरम ने कहा था कि, ' गृह मंत्रालय का दावा है कि उसे "कुछ प्रतिकूल इनपुट" प्राप्त हुए हैं। गृह मंत्रालय को अपने शेरलॉक होम्स जैसे कौशल का उपयोग सांप्रदायिक हिंसा और आतंकी गतिविधियों को दबाने के लिए करना चाहिए, न कि ईसाई दान और मानवीय कार्यों को दबाने के लिए। वर्ष 2021 के खत्म होते ही यह स्पष्ट हो गया है कि मोदी सरकार ने अपने बहुसंख्यकवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक और टार्गेट 'ईसाई' बना लिया है।'
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