अंकारा: रूस-यूक्रेन में जारी जंग के बीच तुर्की और ग्रीस के बीच युद्ध की आशंका बनती नज़र आ रही है। दरअसल, NATO समूह (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के दो शक्तिशाली देश तुर्की और ग्रीस के बीच विवाद चरम पर पहुंच चुका है. बता दें कि, ग्रीस और तुर्की NATO के दो सबसे पुराने सदस्य हैं. दोनों देश 1952 में एक साथ NATO के सदस्य बने थे. मगर, उनके आपसी रिश्ते NATO सदस्य बनने पहले से ही खराब हैं. NATO सदस्य बनने के बाद दोनों देशों के रिश्ते मधुर बनाने के लिए बहुत काम किया गया है. मगर, एजियन सागर पर अधिकार को लेकर दोनों देश एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. जिससे NATO ग्रुप के भीतर पहला युद्ध होने की आशंका जताई जा रही है.
दक्षिण पूर्वी यूरोपीय देश तुर्की और ग्रीस रणनीतिक तौर पर अहम क्षेत्र माना जाता है. इन दोनों देशों के पास NATO समूह की सबसे बड़ी सैन्य शक्तियां मौजूद है. तुर्की के साथ लगातार विवाद होने की वजह से ग्रीस कई वर्षों से रक्षा क्षेत्र में अपना खर्च GDP का 2 फीसद से अधिक रखता रहा है. 2022 में ग्रीस का रक्षा बजट GDP के हिस्से से NATO समूह में सबसे अधिक था. ग्रीस अपनी सैन्य शक्ति में विशेष रूप से वायु सेना और नौसैनिक बेड़े पर फोकस कर रहा है.
2020 के बाद से ग्रीस ने फ्रांस से 24 राफेल जेट और 4.5 जेनरेशन के मल्टीरोल फाइटर्स की खरीद की है, जो किसी भी तुर्की विमान से अधिक सक्षम और तकनीकी रूप से बेहतर माना जाता है. ग्रीस अपने F-16s फाइटर जेट के बेड़े में से 84 को नई तकनीक वाइपर कॉन्फिगरेशन से अपडेट कर रहा है. वहीं, तुर्की के बड़े-बड़े ड्रोन्स का सामना करने के लिए ग्रीस ने अपने पूर्वी एजियन द्वीप पर इजरायल के आयरन डोम को तैनात कर दिया है. ग्रीस ने सात MH-60R पनडुब्बी रोधी युद्ध हेलीकॉप्टर खरीदने की भी योजना तैयार की है. ग्रीस के पास सभी NATO देशों की अपेक्षा टैंक फोर्स भी सबसे अधिक है. हालांकि, इसमें कई टैंक पुराने मॉडल के हैं.
उधर, ग्रीस से दो-दो हाथ करने के लिए तुर्की भी कमर कस चुका है. तुर्की के पास अमेरिका के बाद NATO समूह में दूसरी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति हैं. तुर्की की एयरफोर्स की तुलना ग्रीस से की जाती रही है. हालांकि, F-35 फाइटर जेट प्रोग्राम से बाहर होना, F-16 जेट के अपग्रेड पर अमेरिका की रोक और 2016 में देश में तख्तापलट के प्रयासों में शामिल तुर्की पायलटों को निकाले जाने की वजह से तुर्की की सेना ग्रीस की तुलना में थोड़ी कमजोर दिखाई देती है. फिर भी, तुर्की की उन्नत ड्रोन इंडस्ट्री के चलते उसके द्वारा निर्मित विमान NATO देशों में सबसे बेहतर माना जाता है. तुर्की द्वारा बनाया गया TB-2 Bayraktar ड्रोन ने तुर्की युद्ध में अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है.
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