संभल के बाद अब वाराणसी में मिला 40 साल से बंद पड़ा मंदिर, लिखा था- जमाल संस

संभल के बाद अब वाराणसी में मिला 40 साल से बंद पड़ा मंदिर, लिखा था- जमाल संस
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लखनऊ: बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी के मुस्लिम बहुल इलाके मदनपुरा में एक बंद पड़े प्राचीन मंदिर को फिर से खोलने की माँग जोर पकड़ रही है। बताया जा रहा है कि यह मंदिर काफी पुराना है और बीते 40 वर्षों से इसमें पूजा-अर्चना बंद है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक पोस्ट के जरिए इस मंदिर के बारे में जानकारी मिली, जिसके बाद 'सनातन रक्षक दल' के कार्यकर्ताओं ने इसे खोलने की कवायद शुरू कर दी है।  

रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर के अंदर काफी समय से मलबा और मिट्टी भरी हुई है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि मलबे के नीचे देव-विग्रह भी दबे हो सकते हैं। मंदिर करीब 40 फीट ऊँचा है और इसके चारों ओर भारी अतिक्रमण हुआ है। बिजली के तार लटके हुए हैं और आसपास के घरों के छज्जे मंदिर की दीवारों से सटे हुए हैं। यहाँ तक कि मंदिर के पास के एक मकान पर "जमाल सन्स" का बोर्ड भी लगा है। सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने मंदिर का दौरा करने के बाद कहा कि यह मंदिर सनातन संस्कृति का प्रतीक है और इसे शांतिपूर्ण तरीके से खुलवाने की माँग की जा रही है।

उन्होंने बताया कि प्रशासन को इस मामले की जानकारी दे दी गई है और उनका पूरा सहयोग मिल रहा है। जल्द ही मंदिर की सफाई कर पूजा-अर्चना शुरू करने का प्रयास किया जाएगा। अजय शर्मा का मानना है कि यह मंदिर भगवान शिव का हो सकता है। उन्होंने कहा कि नगर निगम और स्थानीय प्रशासन से जानकारी जुटाई जा रही है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की माँग की गई है।  

मंदिर के मुद्दे पर पुलिस और प्रशासन सक्रिय हो गया है। दशाश्वमेध थाना प्रभारी प्रमोद कुमार ने बताया कि मंदिर काफी समय से बंद है और इलाके में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस तैनात की गई है। प्रशासन स्थानीय लोगों से बातचीत कर रहा है ताकि मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जा सके। डीसीपी काशी जोन गौरव बंसवाल ने कहा कि मंदिर सार्वजनिक स्थल पर स्थित है और इसे फिर से खोलने के लिए लोगों की सहमति जरूरी है। प्रशासन का प्रयास रहेगा कि इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाए।  

इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण के काशीखंड में मिलता है। काशीखंड में काशी के धार्मिक और आधिदैविक महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसमें 100 अध्यायों के माध्यम से वाराणसी के भूगोल, परंपराओं और मंदिरों का उल्लेख किया गया है। काशीखंड में सिद्धतीर्थ कूप का भी उल्लेख है, जो मंदिर के पास स्थित है। इसे एक पवित्र कुआँ माना जाता है, जहाँ सिद्धियाँ प्राप्त करने का विश्वास है। यह ग्रंथ शिवजी के वास और काशी के धार्मिक महत्व पर प्रकाश डालता है।  

मंदिर को फिर से खोलने की माँग के बीच प्रशासन का प्रयास है कि किसी प्रकार का विवाद ना हो। अजय शर्मा और उनकी टीम ने स्पष्ट किया है कि यह पहल किसी के खिलाफ नहीं है, बल्कि सनातन धर्म के गौरव की पुनः स्थापना के लिए की जा रही है। अब देखने वाली बात यह है कि प्रशासन और स्थानीय लोगों के सहयोग से यह प्राचीन मंदिर कब तक फिर से खुलता है और इसके अंदर छिपे धार्मिक और ऐतिहासिक अवशेषों को कैसे संरक्षित किया जाता है।  

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