बांग्लादेश में मिली जीत, अब भारत में भी वही पैंतरा आज़माना चाह रहे आतंकी संगठन, पूर्वोत्तर राज्यों पर नज़र !

बांग्लादेश में मिली जीत, अब भारत में भी वही पैंतरा आज़माना चाह रहे आतंकी संगठन, पूर्वोत्तर राज्यों पर नज़र !
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नई दिल्ली: बांग्लादेश में हाल ही में हुई सियासी उथल-पुथल का असर भारत पर भी पड़ रहा है। इस घटनाक्रम के बाद सीमाओं पर चुनौतियां बढ़ गई हैं और आतंकवादी संगठनों की सक्रियता का खतरा भी बढ़ गया है। भले ही कहा जा रहा हो कि शेख हसीना सरकार के खिलाफ छात्रों ने माहौल बनाया, लेकिन खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि इस हिंसा के पीछे सक्रिय आतंकवादी संगठनों का हाथ था, जिनकी साजिश बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ भी थी। इन आतंकी संगठनों का मुख्य फोकस पूर्वोत्तर भारत पर है, जिसे वे चिकन नैक कहते हैं और भारत सेवन सिस्टर्स कहता है। 

रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए बांग्लादेश की अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के साथ साझेदारी की है। खुफिया जानकारी से यह भी पता चला है कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने बांग्लादेश में हुई इस सियासी उथल-पुथल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसमें जमात-ए-इस्लामी और अन्य आतंकी संगठनों का समर्थन भी शामिल था। त्रिपुरा में मस्जिदों को नुकसान पहुंचाने की छिटपुट घटनाओं के बाद LeT और ABT ने एक गठबंधन किया। 2022 के खुफिया इनपुट से पता चला कि लगभग 50 से 100 ABT कैडर त्रिपुरा में घुसपैठ करने की योजना बना रहे थे, लेकिन इनमें से कई को गिरफ्तार कर लिया गया।

ABT की शुरुआत 2007 में जमात उल-मुस्लिमीन नामक संगठन के रूप में हुई थी, लेकिन फंडिंग की कमी के कारण इसका प्रभाव कम हो गया। 2013 में यह अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के रूप में फिर से उभरा। 2015 में इस पर बैन लगाया गया और फिर इसे अंसार अल-इस्लाम के रूप में ब्रांडिंग की गई। 2017 में इसे फिर से बैन किया गया। इसके बाद इस संगठन ने खुद को भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा की बांग्लादेशी शाखा के रूप में स्थापित किया। इस संगठन पर बांग्लादेश में कई धर्मनिरपेक्ष लोगों की हत्या का आरोप है।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इन आतंकी संगठनों पर अंकुश लगाने के लिए कई ठोस कदम उठाए थे। हाल ही में, जब बांग्लादेश में छात्रों का प्रदर्शन हो रहा था, तब भी शेख हसीना ने कहा था कि इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व छात्रों ने नहीं, बल्कि आतंकवादियों ने किया था। शेख हसीना ने जमात-ए-इस्लामी जैसे कई संगठनों पर प्रतिबंध भी लगाया था।

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