लॉकडाउन के बाद कोरोना की जांच को वायरस को रोकने में सबसे प्रभावी विकल्प माना जा रहा है. क्योकि तेजी से टेस्ट करने से कोरोना को फैलने से कई देशों ने रोक लिया है. वही, भारत में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) और टाटा संस ने कोरोना की जांच किट की तकनीक के लाइसेंस के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इस जांच किट का प्रयोग इसी महीने के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है. यह जानकारी मंगलवार को एक बयान में दी गई.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि दूसरी तरफ सीएसआइआर के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद ने बेंगलुरु स्थित कंपनी, आईस्टेम रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के साथ मानव कोशिकाओं में कोरोनावायरस विकसित करने का करार किया है. इन मानव कोशिकाओं पर संभावित दवाओं और वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा. वही, विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन एक प्रमुख संगठन है. इससे 38 संस्थान और प्रयोगशालाएं संबद्ध हैं. फिलहाल इनमें से अधिकांश संस्थान कोरोना की काट तलाश करने में जुटे हैं.
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इसके अलावा आइजीआइबी ने कम लागत में तेजी से कोरोना की जांच के लिए एफएनसीएएस9 एडिटर लिंक्ड यूनिफॉर्म डिटेक्शन परख (फेलूदा) विकसित की है. बयान में कहा गया है कि जमीनी स्तर पर जांच अभियान को गति देने के लिए मई के अंत तक किट विकसित करने के लिए जानकारी का हस्तांतरण किया जाएगा. फेलूदा पूरी तरह से स्वदेशी आविष्कार है. कोरोना की सस्ती और बड़े पैमाने पर जांच के लिए इसे तैयार किया गया है. इस किफायती जांच को उपयोग में लाना बहुत आसान है. इसके लिए महंगी आरटी-पीसीआर मशीनों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है.
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