नई दिल्ली: विश्व के कई देशों में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन से खून के थक्के बनने की शिकायत के बाद भारत में यह चिंता जोर पकड़ रही है कि क्या यहां भी लोगों को टीका लेने का बाद ऐसी शिकायतों का सामना करना पड़ सकता है। देश में इस वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाया है। भारत में जारी टीकाकरण अभियान में लोगों को दो कोरोना वैक्सीन दी जा रही है, जिनमें से एक सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित कोविशील्ड है। कोविशील्ड लेने के बाद लोगों में खून के थक्के जमने को लेकर अब AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया है कि भारत में कोविशील्ड से खून के थक्के बनने की आशंका कितनी है।
डॉक्टर गुलेरिया का कहना है कि ऐसा काफी दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले असामान्य थे - उन्होंने अनुमान जताया कि तक़रीबन 10 लाख टीकाकरण में देश में अब तक इस प्रकार की कोई घटना सामने नहीं आई है। डॉ गुलेरिया ने मीडिया के साथ बातचीत करते हुए कहा कि, "यह काफी दुर्लभ दुष्प्रभाव है, जिसे पहले एक संयोग माना जा रहा था । यह अभी भी बहुत दुर्लभ है और देखा नहीं जा रहा है। हालांकि भारत में अभी तक ऐसे एक या दो केस सामने आने की बात कही गई है।"
फिलिपींस के स्वास्थ्य अधिकारियों ने गुरुवार को 60 वर्ष के कम उम्र के लोगों को एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगाए जाने पर अस्थायी रोक लगा दी है, स्पेन ने भी कोरोना वायरस से जंग में एस्ट्राजेनेका टीके का इस्तेमाल सिर्फ बुजुर्ग लोगों तक सीमित करने का फैसला किया है। नीदरलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे, आयरलैंड और आइसलैंड ने खून के थक्कों के मामलों की रिपोर्ट के बाद वैक्सीन के इस्तेमाल को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था। ऑस्ट्रिया और इटली में भी वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी।
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