नई दिल्लीः केंद्र सरकार दिल्ली एम्स अस्पताल को रोल मॉडल मानते हुए पूरे देश के एम्स अस्पताल को चलाना चाहती है। इसीलिए केंद्र सरकार ने दिल्ली एम्स से रिटायर अनुभवी डॉक्टरों को अलग अलग एम्स का अध्यक्ष बनाया है। शनिवार को नई दिल्ली स्थित निर्माण भवन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इन सभी 22 अध्यक्षों के साथ पहली बार बैठक की और मरीजों के इलाज की दिशा में अच्छे निर्णय लेने पर जोर दिया।
मिटिंग में मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि अब मरीजों के इलाज, मेडिकल शोध, किसी भी प्रकार के बजट समेत दूसरी चीजों की हरी झंडी के लिए इंतजार करने की जरूरत नहीं है। एम्स के सभी अध्यक्ष अपने लेवल पर संस्थान के विकास और मरीजों के हित से जुड़े निर्णय लेने का हक रखते हैं। दिल्ली एम्स की तरह ही पूरे देश के एम्स को बनाने के लिए अध्यक्षों को सभी प्रकार के अधिकार निर्गत किए जा चुके हैं, जोकि एक मंत्री के होते हैं। इन्हीं अध्यक्षों के देखरेख में संस्थानों का विकास किया जाएगा।
बैठक में मौजूद अध्यक्षों में से एक ने कहा कि तकरीबन चार माह पहले ही अध्यक्षों की नियुक्ति पूरी हुई है। सभी एम्स में निदेशक भी नियुक्त किए जा चुके हैं। जबकि हर एम्स के लिए एक अध्यक्ष नियुक्त बनाया गया है। इन अध्यक्षों की सुपरविजन में ही संस्थान चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि कई बार प्रशासनिक स्तर पर नए कार्यों की शुरुआत को लेकर सरकार से मंजूरी मिलने में बहुत समय लग जाता है। उन्होंने सरकार की इस पहल की खूब प्रशंसा भी की है।
शनिवार को पूरे देश के एम्स अध्यक्षों की बैठक में जहां केंद्रीय मंत्री संस्थागत निर्णय लेने के लिए सभी को मान्य बता रहे थे। वहीं दिल्ली एम्स की लंबे समय से धूल फांक रही फाइल को लेकर भी चर्चा की। साल भर पहले दिल्ली एम्स प्रबंधन की ओर से 500 रुपये तक की सभी जांचें निशुल्क किए जाने की मंजूरी मंत्रालय से मांगी गई थी। इस पर निर्णय लिया जाना बाकी है।
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