नई दिल्ली: गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रही एयर इंडिया ने परिचालन आवश्यकताएं पूरी करने के वास्ते पूंजी एकत्रित करने के लिए सरकार से 2,400 करोड़ रुपये की गारंटी मांगी है। एक अधिकारी ने बुधवार को इस संबंध में जानकारी दी है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब सरकार कर्ज में डूबी एयर इंडिया के विनिवेश को अंतिम रूप देने के प्रयासों में जुटी हुई है।
अधिकारी ने बताया है कि विमानन कंपनी ने परिचालन जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार से यह इजाजत मांगी है। इस मुद्दे पर एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी देने से मना कर दिया। बीती 27 नवंबर को नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने उच्च सदन में कहा था कि एयर इंडिया के कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जाएगी और इसके निजीकरण में किसी का भी रोजगार नहीं जाएगा। उन्होंने कहा था कि निजीकरण नहीं होने की स्थिति में एयरलाइन्स कंपनी बंद हो जाएगी।
एयर इंडिया को वित्त वर्ष 2018-19 में 8,556.35 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ था। वहीं एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ ही एयर इंडिया एक्सप्रेस और विमानन कंपनी के संयुक्त उपक्रम AISATS में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया वापस आरंभ करने के लिए एयर इंडिया विशेष वैकल्पिक व्यवस्था (AISAM) को स्वीकृति दे दी गई है। सरकार ने 5 दिसंबर को कहा था कि सरकारी एयरलाइन्स कंपनी में 2011-12 से अब तक 30,520.21 करोड़ रुपये की पूंजी लगाई जा चुकी है।
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