वाशिंगटन: इस बदलते युग और वायु प्रदुषण से आज पूरी दुनिया प्रभावित होती जा रही है. हर रोज इस समस्या से जूझने वालों कि मौत भी हो चुकी है. वहीं हर दिन बढ़ता जा रहा वायु प्रदुषण अब तक ितं अबाध चुका है कि पूरी दुनिया में हर साल 88 लाख लोग जान गंवाते हैं. यह युद्ध, एचआईवी और धूम्रपान से भी ज्यादा है. उम्र प्रत्याशा में भी औसतन तीन साल कमी आई है. जर्मनी के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि वायु प्रदूषण पूरी दुनिया में महामारी का रूप ले चुका है. अध्ययन में बताया गया है कि प्रदूषण से जहरीली हो रही हवा में सांस लेने से लोगों की कम उम्र में ही मौत हो रही है. हालात इतने खराब हैं कि भारत और जापान सहित पूर्वी एशिया में लोगों की उम्र प्रत्याशा करीब चार साल कम हो गई है. वहीं, यूरोपीय देशों में वायु प्रदूषण के चलते लोगों की औसत उम्र में करीब 2.2 साल की कमी आई है.
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार लंबे समय तक प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों के संपर्क में आने से हृदय और रक्त की धमनियां प्रभावित होती हैं, जो मौत का बड़ा कारण हैं. हालांकि, अध्ययन में कहा गया है कि यदि मानवीय गलतियों को सुधार लिया जाए तो वायु प्रदूषण के चलते होने वाली दो-तिहाई मौतों से बचाव संभव है.
पूरी दुनिया में लोगों की उम्र प्रत्याशा में दो साल 10 महीने की कमी: वहीं यह भी कहा जा रहा है कि अध्ययन के दौरान मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर केमेस्ट्री के प्रो. जोस लेलीवेल्ड के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण और उम्र प्रत्याशा के बीच संबंध का विश्लेषण किया. कंप्यूटर मॉडल की मदद से उन्होंने बताया कि पूरी दुनिया में लोगों की उम्र प्रत्याशा में दो साल 10 महीने की कमी आई है. यह पूरी दुनिया में होने वाली मौतों के किसी भी दूसरे कारण से ज्यादा है. जंहा यह बात तो एक दम साफ़ है कि धूम्रपान लोगों की उम्र प्रत्याशा में 2.2 साल और एचआईवी/एड्स 0.7 साल की कमी लाता है. मलेरिया जैसी बीमारियों के चलते लोगों की औसत उम्र 0.6 साल और युद्ध सहित अन्य हिंसक घटनाओं में होने वाली मौतों के चलते 0.3 साल की कमी होती है.
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