भारत में घरेलू विमान सेवाओं की बहाली के बाद एक सवाल पूछा जा रहा है कि कोविड-19 संकट के समय हवाई यात्राओं में संक्रमण का जोखिम कितना है. साधारणत: विमान के अंदर वायरस के संक्रमण का खतरा कम माना जाता है, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जिनमें संक्रमित व्यक्ति के नजदीक बैठकर यात्रा की जाए. पिछले वर्षों में इसे लेकर के कुछ अध्ययन सामने आए हैं. यह कोरोना वायरस के परिप्रेक्ष्य में विमान में वायरस के प्रसार की बात नहीं करते बल्कि सिर्फ वायरस को लेकर निष्कर्ष पेश करते हैं.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बूंदों के माध्यम से फैलने वाले संक्रमणों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कहता है कि संक्रमण का प्रसार विमान के एक ही क्षेत्र में बैठे यात्रियों के बीच हो सकता है. आमतौर पर संक्रमित के खांसने या छींकने या छूने से. अत्यधिक संक्रामक स्थिति जैसे कि इन्फ्लूएंजा, इसके तब फैलने की संभावना है जब विमान का वेंटिलेशन सिस्टम काम नहीं कर रहा हो. वेंटिलेशन प्रति घंटे 20-30 बार हवा को परिर्वितत करता है.
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कोरोना वायरस के आने के बाद डब्ल्यूएचओ ने एक मीटर की दूरी रखने के निर्देश् दिए हैं. 2018 में एमोरी विश्वविद्यालय और जॉर्जिया टेक के शोधकर्ताओं ने बूंदों के माध्यम से फैलने वाले श्वसन रोग का पता लगाने के लिए विमान के अंदर का मॉडल तैयार किया. सीट 14 सी में संक्रमित यात्री को दर्शाता है. प्रसार की दर 11 सीटों पर 80 से 100 फीसद है व अन्य सभी सीटों के लिए 3 फीसद से कम है. निकटतम 11 सीटों से दूर संक्रमण के प्रसार की संभावना 1 फीसद से भी कम है.
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