आप सभी को बता दें कि भाद्रपद कृष्ण पक्ष एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है और भगवान विष्णु का समर्पित इस व्रत को विधि विधान से करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. कहते हैं अजा एकादशी का व्रत श्रेष्ठतम व्रतों में से एक माना जाता है और इसी के साथ इस एकादशी को कामिका या अन्नदा एकादशी के नाम से भी पुकारते हैं. वैसे तो यह व्रत जीवन में संतुलन बनाने की सीख देता है और इसी के साथ यह मन को निर्मल भी करता है. ऐसे में इस व्रत के प्रभाव से राजा हरिश्चंद्र को उनका खोया हुआ राजपाठ वापस मिला और उनका पुत्र भी जीवित हो उठा.
जी हाँ, कहते हैं अजा एकादशी व्रत में दशमी तिथि की रात्रि में मसूर की दाल नहीं खानी चाहिए और न ही चने या चने के आटे से बनी चीजें खानी चाहिए. इसी के साथ इस दिन शहद खाने से भी बचना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए. इसी के साथ ध्यान रहे कि इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा में धूप, फल, फूल, दीप, पंचामृत आदि का प्रयोग करें और इस व्रत में द्वेष भावना या क्रोध को मन में न लाएं. इसी के साथ इस दिन परनिंदा से बचें और इस व्रत में अन्न वर्जित है. आपको बता दें कि एकादशी पर रात्रि जागरण का बड़ा महत्व है और रात्रि में जागरण कर भगवान का भजन कीर्तन करना चाहिए.
इसी के साथ ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और द्वादशी तिथि को ब्राह्मण को भोजन कराएं और इसके बाद स्वयं भोजन करना फलदायक माना जाता है. इसी के साथ ध्यान रहे एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए और व्यस्नों से दूर रहना चाहिए. इसी के साथ इस दिन किसी भी पेड़ की डाली ना तोड़ें और किसी प्रकार हिंसा भी न करें.
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