90 के दशक में अजमेर में हुए सेक्स और ब्लैकमेलिंग कांड पर बनीं ‘अजमेर 92’ इस वर्ष जुलाई में रिलीज होने जा रही है। यह एलान रिलायंस एंटरटेनमेंट ने की है। उन्होंने फिल्म का पोस्टर जारी कर कहा कि अजमेर 92 इस वर्ष 14 जुलाई को रिलीज की जाने वाली है। पोस्टर में देख सकते हैं कि इस पर 28 परिवारों के लापता होने की बात भी बोली है, हत्याओं का जिक्र, 250 कॉलेज गर्ल्स की न्यूड फोटो बँटने की खबरें हाईलाइट है। इस मूवी में करण वर्मा, सुमित सिंह, सायजी शिंदे और मनोज जोशी दिखाई देने वाले है। मूवी का निर्देशन पुष्पेंद्र सिंह ने किया है। वहीं इसके प्रोड्यूसर उमेश कुमार हैं। सीरीज की शूटिंग दो साल पहले शुरू हो गई थी। उस वक़्त हिंदू संगठनों ने चेतावनी दी थी कि अगर इस फिल्म में तथ्यों से छेड़छाड़ हुई तो वो लोग आंदोलन करने वाले है।
अजमेर 1992 कांड: बता दें कि अजमेर का ब्लैकमेलिंग कांड का खुलासा अप्रैल 1992 में हो गया था। इसे दुनिया के सामने लाने वाले पत्रकार संतोष कुमार थे। इस रेप और ब्लैकमेलिंग कांड की शिकार अधिकतर स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियाँ भी रही। लोग इस बारें में बोलते हैं कि इनमें से अधिकतर ने तो सुसाइड कर लिया है। जब ये केस सामने आया था, तब अजमेर कई दिनों तक बन्द था। लोग सड़क पर उतर गए थे और प्रदर्शन चालू हो चुके थे। जानी हुई बात है कि आरोपितों में से ज्यादातर समुदाय विशेष से थे और पीड़िताओं में सामान्यतः हिन्दू ही थीं।
इस केस में 18 को आरोपित बना दिया गया था। इनमें एक फारूक चिश्ती भी था जो कभी कॉन्ग्रेस का नेता हुआ करता था। इस केस में 200 से भी ज्यादा पीड़िताएँ थीं लेकिन कुछ ने ही बयान भी दे दिया है। अफसोस, इनमें से शायद ही कोई अपने बयान पर कायम हो चुकी है।
‘AJMER 92’ TO RELEASE ON 14 JULY… A #RelianceEntertainment presentation, #Ajmer92 will release in *cinemas* on 14 July 2023… Stars #KaranVerma, #SumitSingh, #SayajiShinde and #ManojJoshi… Directed by #PushpendraSingh… Produced by #UmeshKumarTiwari. pic.twitter.com/ddKnAedh6D
— taran adarsh (@taran_adarsh) May 26, 2023
कहते हैं उस वक़्त अजमेर में 350 से भी ज्यादा पत्र-पत्रिका थी और इस सेक्स स्कैंडल के पीड़ितों का साथ देने के बजाए स्थानीय स्तर के कई मीडियाकर्मी उल्टा उनके परिवारों को ब्लैकमेल भी करते थे। आरोपितों को छोड़िए, इस पूरे केस में समाज का कोई भी ऐसा प्रोफेशन शायद ही रहा हो,इसने एकमत से इन पीड़िताओं के लिए आवाज़ उठा दी हो। इल्जाम यह भी है कि जिस लैब में तस्वीर निकाली गए, जिस टेक्नीशियन ने उसे प्रोसेस किया, जिन पत्रकारों को जिसके बारे में पता था- उन सबने मिल कर अलग-अलग ब्लैकमेलिंग का धँधा चमकाया। पीड़ित लड़कियों और उनके परिवारों से सबने रकम ऐंठे। ऐसे में भला कोई न्याय की उम्मीद करे भी तो कैसे? कभी 29 पीड़ित महिलाओं ने बयान भी जारी कर दिया था, आज गिन कर इनकी संख्या 2 है। सिस्टम ने हर तरफ से इन्हें तबाह किया।
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