भोपाल : प्रेमिका की लाश पर चबूतरा बनाने वाले आकांक्षा मर्डर केस में हर दिन एक नया खुलासा हो रहा है. मृतक आकांक्षा के पिता ने मीडिया से चर्चा के दौरान बताया कि आरोपी उदयन उनकी बेटी की हत्या करने के साथ ही उन्हें भी मारने की फिराक में था. वही इस मामले में बैंक की गंभीर लापरवाही भी सामने आई है. मां की हत्या के बाद उदयन 5 साल तक कैसे पेंशन निकालता रहा, इसे लेकर फेडरल बैंक सवालों के घेरे में है.
जानकारों के मुताबिक ऐसा बिना बैंककर्मियों की मिलीभगत के संभव नहीं है. दूसरी और पुलिस जब रविवार सुबह उदयन को लेकर रायपुर पहुंची तो आरोपी को एक और नई जानकारी पता चली. आरोपी ने खुलासा करते हुए कहा कि उसके मकान को असल में 35 लाख रुपए में बेचा गया था, लेकिन उसे केवल 15 लाख रुपए ही मिले. इस पर उसने पुलिस से कहा कि मेरे साथ तो धोखा हुआ है. मैं उन दोनों को छोड़ूंगा नहीं.
बैंकिंग सेक्टर के विशेषज्ञ मुताबिक यह बिना बैंक के कर्मचारियों की मिलीभगत के संभव नहीं है. जिन पेंशनर्स के बैंक खाते आधार कार्ड से लिंक हैं, उनका लाइफ सर्टिफिकेट डिजिटल सिग्नेचर के जरिए लिया जाता है, लेकिन अभी यह अनिवार्य नहीं हैं. व्यवस्था के तहत बैंक साल में एक बार पेंशनर का लाइफ सर्टिफिकेट लेता है. सामान्यत: यह सर्टिफिकेट पेंशनर खुद लाकर देते हैं. लेकिन जो पेंशनर नि:शक्त होते हैं, उनका डॉक्टर से बना हेल्थ सर्टिफिकेट लिया जाता है. इस सर्टिफिकेट के आधार पर बैंकर खुद पेंशनर के घर जाकर यह सर्टिफिकेट लेकर आता है. फेडरल बैंक ने यह नहीं किया. पुलिस के मुताबिक इतना तो तय है कि अगर लापरवाही न होती और उदयन गलत तरीके से पेंशन निकालने के आरोप में पहले ही पुलिस के हत्थे चढ़ गया होता तो आकांक्षा आज जिंदा होती.
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