मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी का एक पुराना विवादास्पद बयान फिर से चर्चा में है। औरंगाबाद में प्रचार करते समय, उन्होंने अपने पुराने "15 मिनट" वाले बयान को दोहराया, जिसमें उन्होंने कहा, "अरे भाई, 15 मिनट बाकी है, सब्र करिए, न वो मेरा पीछा छोड़ रही है न मैं उसका पीछा छोड़ रहा हूँ। चल रही है मगर क्या गूंज है।” इस पर उनकी बातों का समर्थन करते हुए भीड़ ने जोरदार तालियाँ बजाईं और "15 मिनट-15 मिनट" के नारे लगाए, मानो उन्हें इस बयान का संदर्भ पूरी तरह समझ में आ गया हो।
In 2022, the Court acquitted Akbaruddin Owaisi in two hate speech cases, including his comment about “removing the police for 15 minutes.”
— Anshul Saxena (@AskAnshul) November 6, 2024
Now, he has repeated the 15-minute remark in Maharashtra. pic.twitter.com/NGVrPLW9wn
यह बयान कोई नया नहीं है; वर्ष 2012 में भी अकबरुद्दीन ने इसी तरह का भड़काऊ भाषण दिया था। उस समय उन्होंने कहा था, “देश से 15 मिनट के लिए पुलिस हटा दो, तो पता चलेगा कौन ज्यादा ताकतवर है।” उन्होंने कहा था, “ऐसे कई मोदी आए और चले गए। आज लोग कह रहे हैं कि नरेंद्र मोदी ने गुजरात जीत लिया है और एक दिन वह देश के प्रधानमंत्री बनेंगे, हम भी देखेंगे कि ऐसा कैसे होता है। लोग मुसलमान को डरा रहे हैं। मोदी है, मोदी है, काहे का मोदी। एक बार हैदराबाद आ जाओ बता देंगे। तसलीमा नसरीन आई, कहाँ है किसी को नहीं मालूम। हम 25 करोड़ हैं, तुम 100 करोड़ हो न… ठीक है, तुम तो हमसे इतने ज्यादा हो… 15 मिनट पुलिस को हटा लो हम बता देंगे कि किसमें कितना दम है। एक हजार क्या? एक लाख क्या, एक करोड़ नामर्द मिलकर भी कोशिश कर लें तो भी एक को पैदा नहीं कर सकते। और ये लोग हमसे मुकाबला नहीं कर सकते। जब मुसलमान भारी पड़ा तो यह नामर्दों की फौज आ जाती है।”
अकबरुद्दीन के इन भड़काऊ भाषणों से एक बार फिर उनकी कट्टरपंथी मानसिकता पर सवाल उठ रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर कोर्ट ने उन्हें ऐसे गंभीर बयानों के बावजूद बरी क्यों कर दिया था? उनके इस तरह के बयानों से अगर कट्टरपंथी तत्वों को बल मिलता है और वे दूसरे समुदाय के लोगों को निशाना बनाना शुरू करते हैं, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा?
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