साधु-संतों को लेकर तो हमेशा ही ये कहा जाता है कि वो ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते हैं या अगर कुछ पढ़ा भी होता है तो शायद संस्कृत या फिर हिंदी. लेकिन हम आपको आज उस अखाड़े के बारे में बता रहे हैं जिसके साधु महाराज सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे होते हैं. भले ही वो लोग कितनी भी अच्छी संस्कृत बोलते हो लेकिन साथ ही वो उतनी ही अच्छी अंग्रेजी भी बोलते हैं.
हम बात कर रहे हैं निरंजनी अखाड़ा के बारे में जिसकी स्थापना सन् 904 में विक्रम संवत 960 कार्तिक कृष्णपक्ष दिन सोमवार को गुजरात के मांडवी नामक जगह पर हुई थी. सूत्रों की माने तो इस अखाड़े के करीब 70 फीसदी साधु-संतों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है जिसमे से डॉक्टर से लेकर प्रोफेसर, लॉ एक्सपर्ट, संस्कृत के विद्वान और आचार्य तक सभी लोग शामिल हैं. आपको बता दें इस अखाड़े के संत स्वामी आनंदगिरि ने तो नेट तक क्वालिफाइ कर लिया था. इसके साथ ही स्वामी आनंदगिरि देश-विदेश के विश्वविद्यालयों में लेक्चर भी दे चुके हैं. इन विश्वविद्यालयों में आईआईटी खड़गपुर, आईआईएम शिलांग, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सिडनी यूनिवर्सिटी शामिल है.
विश्वविद्यालयों बतौर गेस्ट लेक्चर अहमदाबाद भी जाते रहते हैं और फिलहाल वह बनारस से पीएचडी कर रहे हैं. इस अखाड़े के ही एक श्रीमहंत ने बताया है कि निरंजनी अखाड़ा इस समय इलाहाबाद और हरिद्वार में पांच स्कूल-कॉलेजों को संचालित कर रहा है. वो लोग इन सभी स्कूल-कॉलेजों के मैनेजमेंट से लेकर उसकी सारी व्यवस्थाएं संभालते हैं. इसके साथ ही वहां के छात्रों को शिक्षा देने का काम भी अखाड़े के संत ही करते हैं. सूत्रों की माने तो इस अखाड़े में फिलहाल 10 हजार से ज्यादा नागा संन्यासी हैं और महामंडलेश्वरों की संख्या फ़िलहाल 33 है.
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