लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव यूपी के ब्राह्मणों को साधने में लग गए हैं. इसी कड़ी में सपा प्रमुख ने रविवार को राजधानी लखनऊ के गोसाईगंज क्षेत्र में लगाई गई भगवान परशुराम की प्रतिमा और 68 फीट उंचे फरसे का अनावरण किया. इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अखिलेश यादव ने परशुराम की पूजा अर्चना की और आशीर्वाद लेकर चुनावी बिगुल फूंका.
सपा के मुखिया ने एक हाथ में भगवान परशुराम का फरसा, तो दूसरे हाथ में भगवान श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र लेकर ब्राह्मण समाज से समाजवादी पार्टी को सत्ता में लाने की अपील की. लेकिन इस बीच सवाल यह है कि खुद अखिलेश यादव की ही एक अपमानजनक टिप्पणी से आक्रोशित ब्राह्मण और संत समाज, सपा प्रमुख की अपील को स्वीकार करेगा ? बता दें कि कुछ दिन पहले ही अखिलेश यादव ने सधी-संतों को चीलमजीवी कहा था, जिसे लेकर संत समाज में काफी आक्रोश है.
संत परमहंस महाराज ने अखिलेश के इस बयान पर कहा था कि उनका यह बयान ने उनकी मानसिकता और अपरिपक्वता को दर्शाता है, हम ऐसे नेताओं को, जो निरंतर सनातन धर्म, भगवा व संतों पर अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं, उन्हे ना सिर्फ चेतावनी देते हैं, बल्कि आगाह भी करते हैं कि सुधार जाइए नहीं तो साधु समाज का आक्रोश झेलना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव सियासी लोगों पर टिप्पणी करें, किन्तु हिंदू समाज और उसके साधु संतों पर टिप्पणी करना उनकी ओछी और सस्ती हरकतों को प्रदर्शित करता है.
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