सरकार श्वेत पत्र जारी करे ताकि किसानों से गेहूं खरीद की सच्चाई सामने आ सके: अखिलेश यादव

सरकार श्वेत पत्र जारी करे ताकि किसानों से गेहूं खरीद की सच्चाई सामने आ सके: अखिलेश यादव
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा है। हाल ही में अखिलेश यादव ने कहा, ''किसानों की जैसी दुर्गति भाजपा सरकार के साढ़े चार सालों में हुई है वैसी पिछले पचास सालों में भी नहीं हुई थी।'' इसी के साथ उन्होंने कहा, ''गेहूं खरीद की तारीख बढ़ाकर किसानों को धोखा देने का स्वांग रचा गया है। किसान को न फसल का दाम मिला है और नहीं मुआवजा। ऊपर से मंहगाई की मार ने उसकी कमर तोड़ दी है। सरकार श्वेत पत्र जारी करे ताकि किसानों से गेहूं खरीद की सच्चाई सामने आ सके।''

इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, ''कागजों में गेहूं खरीद की तारीख बढ़ाने की घोषणा तो हुई है जबकि हकीकत में खरीद बंद है। सरकारी खरीद पोर्टल काम नहीं कर रहा है। किसान का खलिहान में रखा गेहूं भीगने से खराब हो रहा है तो कुछ क्रय केन्द्रों में खुले में पड़ा गेहूं सड़ रहा है। बरसात के दिनों में तमाम क्रयकेन्द्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। किसान मायूस है।'' इसी के साथ अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि, ''रामपुर में क्रय केन्द्रों पर किसान भटक रहे, गेहूं की तौल में आनाकानी हो रही है। रानीपुर में पोर्टल बंद होने से किसानों को तमाम परेशानी उठानी पड़ी है। इटावा में क्रय केन्द्र खरीद की तारीख बढ़ी, लेकिन उपकेन्द्रों पर तौल बंद रही। प्रदेश में कहीं भी किसानों को एमएसपी पर गेहूं खरीद का लाभ नहीं मिला। भाजपा राज में किसानों को न तो लागत का ड्योढ़ा मूल्य मिला, नहीं धान 1888, और गेहूं 1935 रूपये प्रतिकुंतल एमएसपी पर बिका। किसानों को राहत नहीं मिली उल्टे उसकी खेती में काम आने वाला डीजल मंहगा हो गया, बिजली की दरें बढ़ गईं।''

आगे उन्होंने यह भी कहा कि, ''खाद की बोरी की कीमत तो बढ़ी परन्तु बोरी में खाद की मात्रा कम हो गई। किसानों को आसानी से कर्ज भी नहीं मिलता है। सच तो यह है कि किसानों से गेहूं की धीमी खरीदारी सरकारी इशारे पर की गई है ताकि वह अपना गेहूं बिचैलियों को बेचने को मजबूर हो। अधिकारी गुणवत्ता के नाम पर खरीद को नज़र अंदाज कर रहे हैं। चमक और सिकुड़न के नाम पर गेहूं खरीदने से मना कर दिया गया है।''

अखिलेश ने यह भी कहा, ''भाजपा राज में गन्ना किसानों की लगातार उपेक्षा हुई है। चीनी मिल मालिकों पर किसानों का बीस हजार करोड़ रूपये से ज्यादा बकाया है। अफसरों और मिल मालिकों की मिलीभगत से यह भुगतान सम्भव नहीं हो पा रहा है। भुगतान समय से न होने से किसान आत्महत्या को मजबूर हुए हैं। चीनी मिलो और डिस्टलरीज को मामूली ब्याज दर पर कर्ज मिल जाता है। गलत आंकड़े देकर भाजपा किसानों का हित चिंतक बनने का नाटक कर रही है पर अब सबको उसकी सच्चाई का पता चल गया है। प्रदेश और किसानों का भाजपा बहुत नुकसान कर चुकी है। भविष्य अंधकार में दिख रहा है। अब जनता को समाजवादियों से ही उम्मीद है। समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर फिर उत्तर प्रदेश में किसानों को राहत मिलेगी और उनकी मांगे पूरी होंगी।''

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