लखनऊ : समाजवादी पार्टी अपनी स्थापना की रजत जयंती के साल में बिखराव के कगार पर पहुँच गई है. जैसे की आशंका थी, सीएम अखिलेश यादव शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में शिवपाल यादव द्वारा बुलाई गई जिलाध्यक्षों की बैठक में निमंत्रण के बावजूद शामिल नही हुए. वे पूरे दिन अपने करीबी मंत्रियों, युवा कार्यकर्ताओं व कुछ जिलाध्यक्षों से मिलकर सियासी घटनाक्रम पर नजरें गड़ाए रहे.
बता दें कि बड़े बदलाव के संकेत के साथ संघर्ष को तैयार रहने का आह्वान करते हुए अखिलेश ने 23 अक्टूबर को कुछ एमएलए व एमएलसी की कालिदास मार्ग स्थित अपने आवास पर बैठक बुलाई है. यह इसलिए अहम है, क्योंकि इसके एक दिन बाद ही मुलायम सिंह विधायकों, सांसदों, पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों व विधान परिषद सदस्यों के साथ बैठक करने वाले हैं.
शुक्रवार को लखनऊ के हालात कुछ ऐसे थे कि प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव जिस समय जिलाध्यक्षों के साथ बैठक कर रहे थे, उसी समय अखिलेश अपने सरकारी आवास पर पार्टी पदाधिकारियों, राज्य सभा सदस्य, राज्यमंत्री सहित कुनबे में कलह, सियासी हाल और राजनीतिक स्थितियों पर चर्चा कर रहे थे.
अपनी व्यथा साझा करते हुए अखिलेश ने कहा कि मुलायम सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ पिता भी हैं, मगर उन्होंने बदली राजनीतिक चुनौतियों के लिए सबको तैयार रहने का आव्हान किया. उधर मुलायम सिंह शुक्रवार शाम लखनऊ पहुंच गए और उन्होंने कई मंत्रियों, विधायकों व शिवपाल से बातचीत की. सपा मुखिया पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व अपने चचेरे भाई प्रो. राम गोपाल यादव से खफा होने की भी जानकारी मिली है.