लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मिली बड़ी जीत के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव राष्ट्रीय राजनीति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद छोड़ने वाले हैं। इस तरह से वे भावी प्रधानमंत्री बनने के रस्ते पर अग्रसर हो रहे हैं, क्योंकि केंद्र की राजनीति में सर्वोच्च पद वही है, उनके पिता मुलायम सिंह यादव के भी पीएम बनने की चर्चाएं उस समय की राजनीति में रह चुकी हैं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में सपा ने यूपी में 37 सीटें जीती थीं। इसके बाद अखिलेश यादव ने लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में विजयी सांसदों के साथ बैठक की और अपनी भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की।
सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव केंद्रीय राजनीति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपनी करहल विधानसभा सीट (मैनपुरी) से इस्तीफा दे सकते हैं। समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। अखिलेश के जाने के बाद तेज प्रताप यादव करहल सीट से मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। तेज प्रताप मैनपुरी से पूर्व सांसद हैं और मुलायम सिंह के साथ मैनपुरी में प्रचार कर चुके हैं। हाल ही में डिंपल यादव के साथ चुनाव प्रचार कर चुके हैं।
शनिवार को पार्टी मुख्यालय में एक रणनीति बैठक हुई जिसमें बताया गया कि नए सांसद किस तरह अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएंगे और स्थानीय स्तर से लेकर संसद तक जनता के मुद्दों को किस तरह से उठाएंगे। बैठक में अखिलेश यादव के लोकसभा में प्रतिनिधित्व पर भी चर्चा हुई, क्योंकि वे कन्नौज सीट से चुनाव जीते हैं।
मुलाकात के दौरान अखिलेश यादव ने सांसदों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, "मैंने समाजवादी पार्टी के सभी जीते हुए सांसदों से मुलाकात की। सभी ने इस भीषण गर्मी में अथक परिश्रम किया, जबकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में दो तरह के सांसद होते थे, एक वे जिन्हें सांसद का प्रमाण पत्र मिला और दूसरे वे जिन्हें नहीं मिला। मैं सभी को बधाई देता हूं।"
विपक्ष के नए नेता पर अटकलें
अखिलेश यादव के राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने के साथ ही अहम सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष के नेता की भूमिका कौन संभालेगा? अटकलें लगाई जा रही हैं कि विधायक दल के सबसे वरिष्ठ सदस्य होने के नाते शिवपाल यादव को इस पद पर नियुक्त किया जा सकता है। हालांकि, अंतिम फैसला अखिलेश यादव ही करेंगे। यह बदलाव समाजवादी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है क्योंकि इसका लक्ष्य राज्य और राष्ट्रीय राजनीति दोनों में अपना प्रभाव मजबूत करना है।
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