लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुस्लिम वोट बैंक एकतरफा जिसे पड़ेगा, चुनाव में उसी का पलड़ा भारी रहेगा। इस बात को समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बखूबी जानते हैं और इसीलिए इन दिनों मुस्लिम वोटों को लेकर चौकन्ने हो गए हैं, क्योंकि दूसरे विपक्षी दलों की नज़रें भी इस 20 फीसदी मुस्लिम वोटबैंक पर टिकी हुईं है. ऐसे में अखिलेश यादव के सियासी कदम को देखें तो एक हफ्ते में तीन मोर्चे पर मुस्लिम वोटों को अपने साथ साधे रखने के लिए सक्रीय नज़र आ रहे हैं.
पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल और जावेद अली खान को एक बार फिर से उच्च सदन भेजने के फैसले से लेकर अखिलेश यादव लगातार सपा के मुस्लिम चेहरा आजम खान की नाराजगी को दूर करने की कवायद करते दिखाई दे रहे हैं. वहीं, सपा के अल्पसंख्यक सम्मेलन में मुस्लिमों को भाजपा के नैरेटिव में नहीं फंसने के हिदायत भी दे रहे हैं. इस प्रकार से अखिलेश यादव 2024 के चुनाव के लिए मुस्लिम वोटों को लेकर अलर्ट हो गए हैं. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने गुरुवार को अल्पसंख्यकों से बीजेपी किसी एजेंडा में नहीं फंसने की सलाह दी है.
अखिलेश ने कहा कि सपा ने हमेशा अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण किया है. उन्होंने 2022 के चुनाव में एकमुश्त सपा के पक्ष में वोटिंग करने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय को धन्यवाद भी दिया. इसी के साथ अखिलेश ने आरोप लगाया कि भाजपा नफरत फैलाने और समाज को बांटने के एजेंडे पर काम कर रही है. अहम पदों पर RSS के लोगों को बैठाया जा रहा है. वह देश की गंगा जमुनी संस्कृति को तोड़ने और आपसी सौहार्द नष्ट करने में लगी है. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को भाजपा-RSS के नैरेटिव में नहीं फंसना चाहिए.
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