कहते हैं शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्तकहा जाता है इसी के साथ अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे-विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक माने जाते हैं. अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है इसी के साथ अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं. आइए आज हम आपको बताते हैं अक्षय तृतीया का महत्व इन 10 बातों से.
अक्षय तृतीया का महत्व-
1."न माधव समो मासो न कृतेन युगं समम्।
न च वेद समं शास्त्रं न तीर्थ गंगयां समम्।।" यानी वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं हैं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। उसी तरह अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है.
2. कहते हैं वैशाख मास की विशिष्टता इसमें आने वाली अक्षय तृतीया के कारण अक्षुण्ण हो जाती है और वैशाख मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाए जाने वाले इस पर्व का उल्लेख विष्णु धर्म सूत्र, मत्स्य पुराण, नारदीय पुराण तथा भविष्य पुराण आदि में मिलता है.
3. कहा जाता हैं यह समय अपनी योग्यता को निखारने और अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए उत्तम होता है.
4. आप सभी को बता दें कि यह मुहूर्त अपने कर्मों को सही दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है और यह एक मुख्य कारण है कि इस काल को 'दान' इत्यादि के लिए सबसे अच्छा माना जाता है.
5. आप सभी को बता दें कि 'वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आखातीज के रुप में मनाया जाता है भारतीय जनमानस में यह अक्षय तीज के नाम से प्रसिद्ध है.
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