अक्षय तृतीया : सौभाग्य योग तथा छत्र योग का संयोग

अक्षय तृतीया : सौभाग्य योग तथा छत्र योग का संयोग
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हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का बड़ा महत्‍व है। इस दिन को सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इसे अखतीज और वैशाख तीज भी कहा जाता है। अक्षय तृतीया पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 29 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन सौभाग्य योग तथा छत्र योग का संयोग बन रहा है। इस पवित्र दिन दान, स्नान, जप और किसी गरीब को भोजन कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

अनंत अक्षय फल देने वाली अक्षय तृतीया 29 अप्रैल को रहेगी। अक्षय तृतीया पर चंद्र मंगल की युति से लक्ष्मी योग व उच्च राशि मीन में शुक्र ग्रह का संयोग बन रहा है। इससे पहले यह संयोग 2 मई 1987 को बना था। इस योग के अतिरिक्त सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि, सौभाग्य, रवि, बुधादित्य नामक योग भी बन रहे हैं। अक्षय तृतीया के दिन सूर्य चंद्र और शुक्र उच्च राशि में रहेंगे।

मुहूर्त शास्त्र में साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त बताए हैं। इसमें से अक्षय तृतीया भी स्वयं सिद्ध मुहूर्त है। इस दिन किसी भी कार्य की शुरूआत की जा सकती है। जिनके काम काफी समय से अटके हुए हैं, व्यापार में लगातार नुकसान हो रहा है अथवा किसी कार्य के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं मिल पा रहा है तो अक्षय तृतीया का दिन किसी भी नई शुरूआत के लिए अत्यंत ही शुभ दिन है। अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना बहुत शुभ माना गया है। इस दिन स्वर्ण आभूषणों की खरीद-फरोख्त को भाग्य की शुभता से जोड़ा जाता है।

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