लखनऊ: उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड पर पिछले 15 वर्षों से वसीम रिजवी का दबदबा कायम था, जो इस बार टूट गया है. दरअसल, शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख पद का चुनाव सोमवार को था. वसीम रिजवी ने चुनाव का बॉयकॉट कर दिया था, जिसके कारण मौलाना कल्बे जव्वाद के दामाद अली जैदी निर्विरोध चुने गए. वसीम रिजवी खुद लड़ने की जगह अपने करीबी सैय्यद फैजी को चुनाव लड़ाना चाहते थे, लेकिन सरकार की तरफ से मनोनीत सदस्यों में सभी कल्बे जव्वाद के ख़ास थे.
शिया वक्फ बोर्ड चुनाव के दौरान यूपी कैबिनेट में अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा उपस्थित रहे. उन्होंने कहा कि अली जैदी की जीत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राज्य के सीएम योगी की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति की जीत है. मोहसिन रजा ने साथ ही कहा कि राज्य के शिया समुदाय के जिन लोगों के साथ पिछले बोर्ड के दौरान अन्याय हुआ, अब उनके साथ इंसाफ होगा.
बता दें कि उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड पर काबिज होने को लेकर बीते 15 सालों से मौलाना कल्बे जव्वाद और वसीम रिजवी के बीच सियासी वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी. मायावती की सरकार के दौरान शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन चुने गए वसीम रिजवी को अखिलेश यादव की सरकार के वक़्त हटवाने के लिए कल्बे जव्वाद ने पूरी ताकत लगा दी थी और सड़क पर उतरकर प्रदर्शन भी किया था, किन्तु तब आजम खान के कारण उनकी एक नहीं चली थी.
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