नई दिल्ली: केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने आज शुक्रवार,(23 अगस्त 2024) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा करने से वे सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं और दिल्ली शराब घोटाले की जाँच को प्रभावित कर सकते हैं। CBI ने कहा कि दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े सभी निर्णय मुख्यमंत्री केजरीवाल के निर्देश पर लिए गए थे।
CBI ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश उज्जल भुइयाँ की पीठ के समक्ष एक हलफनामा दायर किया, जिसमें उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी रद्द करने और उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा करने की याचिका का विरोध किया। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 5 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी। CBI ने अपने हलफनामे में कहा कि अरविंद केजरीवाल एक प्रमुख राजनेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री होने के नाते बहुत प्रभावशाली हैं। उन्हें हिरासत में पूछताछ के दौरान गवाहों और सबूतों को प्रभावित करने और जाँच में बाधा डालने की संभावना है। CBI ने यह भी बताया कि केजरीवाल ने आबकारी नीति 2021-22 में हेरफेर किया, जिससे यह घोटाला हुआ।
CBI ने यह भी उल्लेख किया कि दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने केजरीवाल के निर्देशों पर ही नई आबकारी नीति के सभी महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे। CBI का दावा है कि जांच के दौरान सह-आरोपियों के हार्ड ड्राइव और मोबाइल फोन से मिले डेटा ने केजरीवाल के इस घोटाले में शामिल होने की पुष्टि की है। एजेंसी का मानना है कि केजरीवाल इस मामले को राजनीतिक रूप से सनसनीखेज बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि विभिन्न न्यायालयों ने इस मामले में अपराध के होने के संकेत पाए हैं।
इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने 5 अगस्त 2024 को केजरीवाल की याचिकाओं को खारिज करते हुए उन्हें निचली अदालत में जाने का निर्देश दिया था। इसके बाद, केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, लेकिन 14 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए CBI से जवाब माँगा था।