नई दिल्ली: समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने को लेकर छिड़ी बहस के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी की एक कॉपी उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को भी भेजी गई है. पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से मुस्लिम समुदाय पर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू न करने का आग्रह किया गया है.
बोर्ड की तरफ से कहा गया है कि इस गंभीर विषय पर गंभीर चर्चा और संवाद की आवश्यकता है. AIMPLB ने कहा है कि वे इस विषय की गंभीरता के मद्देनज़र मुस्लिम समुदाय के निकाह, तलाक, उत्तराधिकार जैसे धर्म और संविधान सम्मत अधिकार के संरक्षण की अपेक्षा करते हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर मोइन अहमद खान की तरफ से लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि देश मे सभी धार्मिक समूहों को अपने धार्मिक रीति-रिवाज के मुताबिक शादी की संवैधानिक इजाजत है.
मुस्लिम बोर्ड ने कहा है कि मुस्लिम समुदाय समेत कई समुदायों को अपने धार्मिक विधि के मुताबिक, शादी और तलाक के अधिकार भारत की स्वतंत्रता के पहले से मिले हुए हैं. मुस्लिम समुदाय को 1937 से इस संबंध में मुस्लिम एप्लिकेशन एक्ट के अंतर्गत संरक्षण मिला हुआ है. चिट्ठी में कहा गया है कि स्वतंत्रता के बाद भी संविधान सभा में इस संबंध में (यूनिफॉर्म सिविल कोड) हुई बहस में प्रस्तावना समिति के अध्यक्ष बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि सरकार इसे धार्मिक समुदाय पर छोड़ दे और सहमति बनने तक इसे लागू न करे.
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