जाने माने मशहूर कवि और हिन्दी फिल्मों के गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर स्वयं को नास्तिक मानते हैं तथा अक्सर धर्म पर अपनी राय व्यक्त करते हैं। हाल ही में मुंबई में हुए एक इवेंट के चलते उन्होंने एक बार फिर से धर्म पर बात की। उनका मानना है कि 20वीं और 21वीं सदी के लोग विभाजित व्यक्तित्व (स्प्लिट पर्सनैलिटी) वाले हैं। उन्होंने इसका उदाहरण चांद से दिया, यह बोलते हुए कि इसरो के वैज्ञानिक चांद पर रॉकेट भेजते हैं, जबकि लोग चांद को चंद्रलोक मानते हैं तथा जब रॉकेट चांद पर पहुंचता है, तो वे मंदिर जाकर प्रार्थना भी करने लगते हैं।
बृहस्पतिवार को मुंबई में हुए एक सेशन में जावेद अख्तर ने इस मुद्दे पर बात की। जब उनसे पूछा गया कि उनके अंदर धार्मिक भावना क्यों नहीं है, तो उन्होंने जवाब दिया, "हमारे पास तर्क और लॉजिक हैं, किन्तु हमारे दिमाग का एक हिस्सा उस वक़्त क्षतिग्रस्त हो चुका था जब हम बच्चे थे और हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था।" जावेद अख्तर ने कहा कि जो लोग समाज के नियमों के खिलाफ चलते हैं, उन्हें वैज्ञानिक सोच के कारण सजा दी जाती है। उन्होंने समझाया, "20वीं और 21वीं सदी का समय विभाजित व्यक्तित्व (स्किट्सफ्रीनिया) का है। लोग स्प्लिट पर्सनैलिटी वाले हैं।"
अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, "भारत में ISRO (इसरो) से एक व्यक्ति जो चांद के एक हिस्से पर रॉकेट भेज सकता है... मगर चांद पर तो चंद्रलोक है, जहां देवी-देवता रहते थे। आप वहां रॉकेट भेज रहे हैं और जैसे ही रॉकेट पहुंचता है, आप मंदिर चले जाते हैं। यह विभाजित व्यक्तित्व (स्किट्सफ्रीनिया) है। मानव इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब आपका ज्ञान एवं सूचना आपके धार्मिक विश्वासों से मेल नहीं खा रहे।" आगे जावेद अख्तर ने कहा, "सभी धर्म, बिना किसी अपवाद के, अंधकार युग के हैं। उनकी जड़ें डार्क एजेज में हैं। आप अपने साथ अंधकार युग को लाए हैं। आपकी गर्भनाल अभी तक अंधकार युग से नहीं कट पाई है।"
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