हिन्दू धर्म में कई सारी मान्यताएं विद्यमान हैं और यह मान्यताएं आज से नहीं बल्कि आदिकाल से चली आ रही हैं। ऐसी ही एक मान्यता पंचक को लेकर है, जिसे बहुत ही अशुभ माना जाता है। शास्त्र के मुताबिक पंचक लगने पर बहुत से ऐसे कार्य हैं जिनको विराम दे देना ही उचित होता है। तो चलिए जानते है पंचक से जुड़े कुछ जरूरी तथ्य के बारे में..
पंचकों में शव का क्रियाकर्म करना निषिद्ध है, क्योकि पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने पर कुटुंब या पड़ोस में पांच लोगों की मृत्यु हो सकती है।
पंचकों के पांच दिनों में दक्षिण दिशा की यात्रा वर्जित कही गई है, क्योंकि दक्षिण मृत्यु के देव यम की दिशा मानी गई है।
चर संज्ञक धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहने के कारण घास, लकड़ी, ईंधन, इकट्ठा नहीं करना चाहिए।
मृदु संज्ञक रेवती नक्षत्र में घर की छत डालना धन हानि व क्लेश कराने वाला होता है।
पंचकों के पांच दिनों में चारपाई नहीं बनवानी चाहिए।
पंचक दोष दूर करने के उपाय-
शव का क्रियाकर्म करना अनिवार्य होने पर शव दाह करते समय कुशा के पंच पुतले बनाकर चिता के साथ जलाएं।
मकान पर छत डलवाना अनिवार्य हो तो मजदूरों को मिठाई खिलाने के पश्चात छत डलवाएं।
पलंग या चारपाई बनवानी अनिवार्य हो तो पंचक समाप्ति के बाद ही इस्तेमाल करें।
दक्षिण दिशा की यात्रा अनिवार्य हो तो हनुमान मंदिर में पांच फल चढ़ाएं।
लकड़ी का समान खरीदना अनिवार्य होने पर गायत्री यज्ञ करें।
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