शनि देव। नाम सुनते ही भगवान शनि देव के प्रकोप से अच्छे - अच्छे भी भयभीत होने लगते हैं। ऐसे में हर कोई शनि नाम की माला जपने लगता है। कहा जाता है कि शनि की वक्र दृष्टि लोगों को अच्छे दिन भी दिखाती है और कई लोगों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। भगवान शनि देव की पीड़ा से बचने के लिए श्रद्धालु शनि का दान करते हैं तो कुछ लोग काले घोड़े की नाल का प्रयोग करते हैं। धार्मिक दृष्टि से भगवान शनि को न्यायाधीश कहा जाता है। ऐसे में वे दंड देने का और न्याय करने का काम भी करते हैं। कई बार शनि की स्थिति व्यक्ति को उसके कैरियर उंचाईयों तक पहुंचाती है तो कई बार व्यक्ति कष्टों को सहन करता है।
शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए शनि देव को तेल, काले तिल, काला वस्त्र, लोहा आदि अर्पित करने की बात कही जाती है। कई बार कोयला या लोहा नदी में प्रवाहित कर शनि पीड़ा से जातक को मुक्ति दिलवाई जाती है। भगवान शनि को साधने से सभी कष्ट दूर होते हैं। इनकी कृपा इतनी है कि भगवान े मूल स्थान शनि शिंगणापुर में तो घरों के पट पर ताले तक नहीं लगते यही नहीं कुछ घरों में तो मुख्य द्वार भी खुला ही रहता है।
ज्योतिष में भी शनि देव को बहुत महत्व दिया गया है। शनि को मंथर गति से चलने वाला माना जाता है। जिसकारण इनके ढैया और साढ़े साती को विशेष स्थान दिया जाता है। भगवान शनि को यूं तो प्रत्येक शनिवार पूजा जाता है लेकिन शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनि का दान देना और इनका पूजन करना विशेष फलदायी होता है।
धरम और कर्म के बीच बिलकुल भी नही करना चाहिए दिखावा