प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दो युवतियों के लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने की याचिका पर एक अहम फैसला दिया है। दाखिल की गई याचिका में दोनों युवतियों ने सुरक्षा की मांग की थी। बता दें कि परिवार और समाज वाले युवतियों के इस रिश्ते की खिलाफत कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि समाज की नैतिकता कोर्ट के फैसलों को प्रभावित नहीं कर सकती है।
अदालत ने कहा कि संवैधानिक नैतिकता और लोगों के अधिकारों को संरक्षण देना अदालत का कर्तव्य है। कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक शामली को याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देते हुए कहा कि उन्हें किसी से परेशान नहीं होना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह आदेश जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस पंकज भाटिया की खंडपीठ ने शामली के टिमरशाह मुहल्ला के रहने वाले सुल्ताना मिर्जा और विवेक विहार निवासी किरानी की याचिका का निपटारा करते हुए दिया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे वयस्क हैं। दोनों काम कर रहे हैं। साथ ही काफी समय से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। इसका परिवार और समाज विरोध कर रहे हैं, उन्हें तंग किया जा रहा है।
बता दें कि देश के सुप्रीम कोर्ट ने नवतेज सिंह जौहर मामले में सुनवाई करते हुए समलैंगिकता को मान्यता दी है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, आपसी सहमति से दो समलैंगिकों के बीच संबंध को आपराधिक कृत्य नहीं माना जाएगा। समलैंगिकों को भी सामान्य नागरिकों के बराबर मूल अधिकार प्राप्त हैं। सभी लोगों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है।
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