लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने यह जुर्माना सात वर्षों से लंबित एक मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल न करने पर लगाया है। इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश राजेश बिंदल और जस्टिस बृज राज सिंह की बेंच ने की। अदालत ने याचिकाकर्ता गुरु प्रसाद की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए योगी सरकार पर जुर्माना लगाया है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में अब अगली सुनवाई 21 फरवरी को की जाएगी। वहीं, अगली सुनवाई तक जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर प्रमुख सचिव को राजस्व न्यायालय (Revenue Court) में हाजिर होना होगा। बता दें कि यह याचिका अखिलेश सरकार के समय 2015 से लंबित है, इसके बाद 2017 में योगी आदित्यनाथ सीएम बने, मगर राज्य सरकार ने इस मामले में अभी तक कोई जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है। ऐसे में अब कोर्ट ने जुर्माना लगाया है। वहीं न्यायालय ने राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल न करने पर जिम्मेदार अधिकारी से मुआवजे की राशि वसूलने की भी छूट दी है। इसके साथ ही कोर्ट द्वारा स्पष्ट किया गया है कि जुर्माने की राशि उच्च न्यायालय की मध्यस्थता केंद्र में जमा की जाए।
बता दें कि इससे पहले उच्च न्यायलय की लखनऊ खंडपीठ ने गन्ना किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लेते हुए यूपी सरकार पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। मामला गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर था। इस मामले में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश पारित किया था।
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