लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार (3 मार्च) को एक बेहद अहम फैसले में कहा कि देश में गोहत्या रोकने के लिए केंद्र सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने गाय को संरक्षित राष्ट्रीय पशु घोषित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शमीम अहमद की सिंगल बेंच ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि गाय की महिमा वैदिक काल से चली आ रही है। इसके साथ ही जस्टिस शमीम अहमद ने बाराबंकी के देवा थाना क्षेत्र के मोहम्मद अब्दुल खलीक की याचिका ठुकरा दी। खलीक को पुलिस ने गोवंश के मांस के साथ अरेस्ट किया था और उसके खिलाफ यूपी गोवध निवारण कानून के तहत केस दर्ज हुआ था।
उच्च न्यायालय ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की और कहा कि, 'उम्मीद है कि केंद्र सरकार देश में गोहत्या रोकने के लिए उचित फैसला लेगी और इसे संरक्षित राष्ट्रीय जीव घोषित करेगी।' अदालत ने कहा कि, 'गाय को हिंदू धर्म में सभी जानवरों में से सबसे पवित्र माना गया है। इसे कामधेनु या दिव्य गाय और सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाली के रूप में लोक मान्यता प्राप्त है।' इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाय को भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा बताते हुए कहा कि, 'हम एक धर्मनिरपेक्ष देश में रह रहे हैं और सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए। हिंदू धर्म का यह मत है कि गाय दैवीय और प्राकृतिक भलाई की प्रतिनिधि है। इसलिए इसकी रक्षा और पूजा होनी चाहिए।'
पुराणों और महाभारत आदि ग्रंथों का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि, 'पुराण कहते हैं कि गायों के दान/उपहार से ज्यादा धार्मिक और कुछ भी नहीं है। भगवान राम के विवाह में भी गायों को उपहार के तौर पर दिया गया था। महाभारत में भीष्म पितामह का कहना है कि गाय जीवन भर मनुष्य को दूध प्रदान करके एक सरोगेट माँ के रूप में कार्य करती है। इसलिए वह वास्तव में विश्व की माँ है।' गाय की महत्ता बताते हुए उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि, 'किंवदंतियों में यह भी कहा गया है कि प्रजापति ब्रह्मा ने एक ही समय में पुजारियों और गायों को जीवन प्रदान किया, ताकि पुजारी धार्मिक ग्रंथों का पाठ कर सकें और गाय अनुष्ठानों के लिए प्रसाद के रूप में घी दे सकें।' अदालत ने कहा कि गाय के चारों पैरों को चार वेद माना गया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि, 'जो कोई भी गायों को मारता है या दूसरों को मारने की इजाजत देता है, माना जाता है कि वह तब तक नरक में सड़ता रहेगा, जब तक कि उसकी देह पर बाल हैं। इसी प्रकार बैल को भगवान शिव का वाहन बताया गया है। यह नर मवेशियों के सम्मान का प्रतीक है।' जस्टिस शमीम अहमद ने कहा कि गाय को अन्य देवी-देवताओं के साथ भी जोड़ा गया है, खास तौर पर भगवान शिव, भगवान इंद्र, भगवान कृष्ण और देवी (कई के मातृ गुणों के कारण) के साथ। न्यायालय ने कहा कि हिंदू धर्म में गाय को सबसे पवित्र पशु माना गया है। अदालत ने कहा कि गोवंश का वैदिक काल से लेकर मनुस्मृति, महाभारत, रामायण में वर्णित धार्मिक महत्व के साथ ही व्यापक वित्तीय महत्व भी है। गाय से मिलने वाले पदार्थों से पंचगव्य भी बनता है।
बता दें कि, इसके पहले सितंबर 2021 में भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाय को संरक्षित राष्ट्रीय पशु घोषित करने की सिफारिश की थी। उस समय विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने स्वागत किया था। VHP के अंतराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा था कि गाय कई सदियों से भारत देश की प्राणवायु की तरह रही है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को जज के सुझाव का पालन करते हुए गोहत्या पर पूरी तरह बैन लगा देना चाहिए।
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