लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायलाय ने लाडस्पीकर से अजान की अनुमति देने की माँग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि लाडस्पीकर से अजान देना मौलिक अधिकार नहीं है। इसको लेकर पहले ही कानून पारित किया जा चुका है। न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने इरफान द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।
गौरतलब है कि यूपी के बदायूँ के निवासी इरफान ने SDM तहसील बिसौली, जिला बदायूं द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया था। इसमें अजान के वक़्त गाँव की मस्जिद में लाउडस्पीकर/माइक के इस्तेमाल की इजाजत माँगी गई थी। हाई कोर्ट ने अजान के लिए लाउडस्पीकर लगाने की इजाजत की माँग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि कोई भी धर्म पूजा या इबादत के लिए लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति नहीं देता। इरफान का कहना था कि SDM द्वारा पारित आदेश पूरी तरह से गैरकानूनी था और मस्जिद से लाउडस्पीकर बजाने पर रोक, उसके मौलिक और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है। हाई कोर्ट ने उसकी दलीलें खारिज करते हुए कहा कि अब यह कानून पारित हो चुका है कि मस्जिद से लाउडस्पीकर का उपयोग मौलिक अधिकार नहीं है। इस प्रकार यह याचिका स्पष्ट रूप से गलत है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।
बता दें कि 2020 में एक फैसले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्वीकार किया था कि लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध वैध है, क्योंकि यह इस्लाम का हिस्सा नहीं है। अदालत ने कहा था कि अजान इस्लाम का हिस्सा है, मगर लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का हिस्सा नहीं हो सकता। इसके लिए कोर्ट ने दलील दी थी कि लाउडस्पीकर के आने से पहले मस्जिदों से मानव आवाज में अजान दी जाती थी। मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दी जा सकती है। गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी ने इस संबंध में याचिका दाखिल की थी।
'चाचा की अपनी पार्टी है, उसे मजबूत करने पर ध्यान दें ...', शिवपाल यादव को भतीजे अखिलेश ने दी सलाह
AAP में शामिल हुए कॉमेडियन श्याम रंगीला, PM मोदी की मिमिक्री से पाई थी लोकप्रियता