लखनऊ: नाबालिग के साथ बलात्कार के एक मामले में सख्त रुख अख्तियार करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म को मूल अधिकारों का हनन करार दिया है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि बलात्कार न केवल पीड़िता के खिलाफ अपराध है, बल्कि यह पूरे समाज के खिलाफ भी अपराध है। इससे जीवन के मूल अधिकारों का हनन होता है। ऐसे मामले में अगर कार्रवाई नहीं की गई, तो लोगों का न्याय तंत्र से भरोसा उठ जाएगा। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका ठुकरा दी।
उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि आठ वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में 20 वर्ष कारावास से बढ़ाकर उम्र कैद हो सकती है। साथ ही जुर्माना लगाया जा सकता है। ऐसे में आरोपी को ट्रायल से पहले बेकसूर नहीं माना जा सकता। इसी के साथ अदालत ने आठ वर्षीय नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है।
हाई कोर्ट ने कहा कि आठ साल की बच्ची बलात्कार और उसके दुष्परिणाम नहीं जानती। भारत में बच्चियों की पूजा की जाती है। इसके बाद भी बच्चियों के साथ छेड़छाड़, रेप के अपराध में बढ़ोतरी होती जा रही है। लड़कियां मानसिक उत्पीड़न व डिप्रेशन की शिकार हो रही हैं। कुछ अपना जीवन भी ख़त्म कर ले रही हैं। कई मामलों में परिवार की इज्जत बचाने के लिए ऐसी वारदातों को दबा दिया जाता है। इससे पीड़िता की आत्मा को ठेस पहुँचती है।
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