लखनऊ: अयोध्या के विवादित ढांचे पर मुस्लिम समाज ने नमाज पढ़ने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायलय में एक याचिका दाखिल की थी. गुरुवार को मुसलमानों द्वारा दाखिल की गई याचिका को इलाहाबाद उच्च न्यायलय की लखनऊ खंडपीठ ने खारिज कर दिया है. वहीं, याचीकाकर्ता को सस्ती लोकप्रियता के लिए याचिका दायर करने पर फटकार लगाते हुए पांच लाख का जुर्माना भी ठोंका है.
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दायर की गई याचिका में ये मंजूरी मांगी गई थी कि 30 सितंबर 2010 के उच्च न्यायलय के निर्णय के तहत इस स्थल के एक तिहाई हिस्से में मुसलमानों को नमाज पढ़ने की मंजूरी दी जानी चाहिए. चूंकि हिंदुओं को वहां पूजा और दर्शन करने की इजाजत दी गई है ऐसे में समानता के आधार पर मुसलमानों को नमाज पढ़ने की मंजूरी मिलनी चाहिए. इसके लिए उच्च न्यायलय उचित आदेश जारी करे किन्तु आज अदालत ने उस याचिका को खारिज कर याचिकाकर्ता पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
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यह याचिका रायबरेली जिले के गांधीनगर मोहल्ले स्थित अल रहमान चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी शरीफ ने लगाई थी. याचिका में कहा गया था कि याची और मुसलमानों को विवादित ढांचे पर नमाज पढ़ने की मंजूरी दी जानी चाहिए. यह जगह फैजाबाद (अब अयोध्या) जिले की सदर तहसील अयोध्या स्थित मोहल्ला कोट रामचंद्र में स्थित है, इसकी प्लॉट संख्या 159, 160 समेत रामजन्म भूमि-बाबरी परिसर के एक तिहाई हिस्सा भी शामिल हैं.
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