अमेरिका पर लगे आरोपों पर विपक्ष ने अडानी को घेरा, BJP बोली- 'अभी दोष सिद्ध-नहीं'

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नई दिल्ली: भारतीय कारोबारी समूह अडानी ग्रुप पर अमेरिकी न्याय विभाग (Department of Justice) और सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने भ्रष्टाचार और वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं। आरोपों के मुताबिक, अडानी समूह ने भारतीय सरकारी अफसरों को रिश्वत दी तथा झूठी जानकारी का उपयोग करके अमेरिका में निवेशकों से धन जुटाया।

मुकदमे में कौन हैं आरोपित?
अमेरिकी एजेंसियों ने अडानी समूह के मुखिया गौतम अडानी, उनके भाई सागर अडानी तथा समूह के पांच अन्य अधिकारियों – रंजीत गुप्ता, सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा, और रूपेश अग्रवाल – को इस मामले में आरोपित किया है। एजेंसियों का कहना है कि इन अफसरों ने सोलर एनर्जी परियोजनाओं से संबंधित सरकारी टेंडर प्राप्त करने के लिए रिश्वत देने एवं अमेरिकी निवेशकों को गुमराह करने की साजिश रची।

कांग्रेस का हमला: मोदी सरकार को निशाने पर लिया
20 नवंबर 2024 को लगाए गए आरोपों के पश्चात्, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे लेकर सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने 22 नवंबर को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा: "गौतम अडानी, सागर अडानी और अन्य के खिलाफ अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय, ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ न्यूयॉर्क द्वारा दर्ज मुकदमे में अडानी की आपराधिक गतिविधियों का खुलासा हुआ है। यह दावा किया गया है कि उन्होंने 2020 से 2024 के बीच भारतीय सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (₹2100 करोड़) से ज्यादा की रिश्वत दी।"

उन्होंने कहा कि यह रिश्वत अडानी समूह ने सोलर एनर्जी सप्लाई के टेंडर प्राप्त करने के लिए दी, जिससे उन्हें 2 बिलियन डॉलर (₹16,800 करोड़) का मुनाफा होता। रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार अडानी समूह को संरक्षण दे रही है तथा मामले की निष्पक्ष जांच के लिए SEBI के नए प्रमुख की नियुक्ति और संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के गठन की मांग की।

भाजपा का जवाब: कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया
जयराम रमेश के इन आरोपों का जवाब भाजपा आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने दिया। अमित मालवीय ने अमेरिकी कोर्ट के कागजों के हवाले से लिखा, “इसलिए बोलते हैं कि जवाबा देने से पहले पढ़ लेना चाहिए। आपने जिन कागजों हवाला दिया है। उन्हीं में लिखा है, “मुकदमे में लगाए गए आरोप अभी सिद्ध नहीं हुए हैं तथा जब तक आरोपित दोषी साबित न हो जाएँ, तब तक उन्हें निर्दोष करार माना जाता है।” तत्पश्चात, मालवीय ने इस मुकदमे के कागजों के सहारे कॉन्ग्रेस को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। अमित मालवीय ने बताया, “किन्तु जैसा भी हो, पूरा मामला ये है कि अमेरिकी और भारतीय कंपनियों ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 12 GW बिजली सप्लाई करने पर सहमति जताई थी। यह समझौता तब होता जब SECI, राज्यों की बिजली कम्पनियों (SDC) के साथ बिजली खरीदने का समझौता (PPA) करने पर आधारित था। अडानी ग्रीन एनर्जी एवं अमेरिकी कम्पनी एज़्योर पावर के बीच समझौता था, इसके तहत सरकार को बेची जाने वाली बिजली में से एज़्योर 4 GW जबकि अडानी ग्रीन एनर्जी को 8 GW देना था।”

अमित मालवीय ने बताया कि इन कम्पनियों द्वारा बनाई गई बिजली महँगी थी, इसलिए प्रदेशों की बिजली कम्पनियाँ इन्हें खरीद नहीं रही थीं। ऐसे में यह आगे SECI के पास भी नहीं जाती। अमित मालवीय ने बताया कि मुकदमे के मुताबिक़, इस स्थिति से निपटने के लिए अडानी ने अमेरिकी फर्म एज़्योर पावर के साथ मिलकर जुलाई 2021 से फरवरी 2022 के बीच ओडिशा (तब BJD शासित), तमिलनाडु (DMK), छत्तीसगढ़ (तब कॉन्ग्रेस शासित) और आंध्र प्रदेश (तब YSRCP) में स्थित SDC को US $265 मिलियन पैसा दिया। अमित मालवीय ने जयराम रमेश से पूछा कि यदि मुकदमे में बताए गए सभी राज्य तब विपक्ष की पार्टियों द्वारा शासित थे तो सबसे पहले तो उन्हें जवाब देना चाहिए कि क्या उन्होंने रिश्वत ली। मालवीय ने कहा कि जयराम रमेश केंद्र सरकार को लेकर धर्मोपदेश दे रहे हैं, बजाय अपनी सरकारों पर सवाल उठाने के। अमित मालवीय ने इस पूरे मुकदमे के पीछे जॉर्ज सोरोस का हाथ होने की तरफ इशारा किया तथा आरोप लगाया कि कॉन्ग्रेस उसकी कठपुतली बनी हुई है।

अडानी समूह का बयान
इस मामले में अडानी समूह ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज किया है। समूह ने एक बयान में कहा कि वे अमेरिका में बॉन्ड बिक्री को रोक रहे हैं, हालांकि यह बॉन्ड तीन गुना ज्यादा सब्सक्राइब हुआ था।

अमेरिकी एजेंसियों के मुख्य आरोप:
अडानी समूह ने भारतीय अधिकारियों को 2020-2024 के बीच 250 मिलियन डॉलर रिश्वत दी।
रिश्वत के लिए शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया।
निवेशकों को गुमराह करने के लिए गलत जानकारी दी।
सबूत मिटाने और जांचकर्ताओं को गुमराह करने की कोशिश की।
अमेरिकी निवेशकों से बॉन्ड के जरिए धन जुटाया।

अब यह मामला अमेरिकी कोर्ट में चलेगा तथा अडानी समूह को इन आरोपों का जवाब देना होगा। विपक्ष इस मुद्दे पर मोदी सरकार से स्पष्टीकरण एवं जवाबदेही की मांग कर रहा है।

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