जम्मू - कश्मीर : जम्मू - कश्मीर हेतु गठित किए गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर दौरे से पूर्व राजनीतिक दलों ने अशांत वातावरण को नियंत्रित करने के ही साथ सुरक्षा बलों की ओर पैलेट गन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने हेतु हुर्रियत समेत हितधारकों के ही साथ चर्चा करने की मांग भी की। सरकार द्वारा 30 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर मसले को लेकर बैठक के लिए सभी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया।
इस सिलसिले में आयोजित की गई बैठक के बाद कांग्रेस व माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने अपने सुझाव भी दिए। जिसमें हुर्रियत नेताओं को भी बैठक में शामिल किए जाने की बात कही गई। यही नहीं इन नेताओं ने घाटी में पुनर्वास पर भी चर्चा की। रविवार से प्रारंभ होने वाली जम्मू - कश्मीर की दो दिवसीय यात्र में एक प्रतिनिधिमंडल हिंसाग्रस्त क्षेत्र में जाकर स्थिति का जायजा लेगा। ऐसे में इस बैठक में दलों के नेताओं ने सलाह दी कि दौरे केे तहत हितधारकों से संपर्क किया जाना चाहिए।
माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी द्वारा कहा गया कि सरकार जब सभी दलों से चर्चा कर रही है तो उसे हुर्रियत काॅन्फ्रेंस को भी चर्चा के लिए बुलाना चाहिए। येचुरी ने कहा कि सरकार को पैलेट गन प्रतिबंधित करने के ही साथ कश्मीर में पुनर्वास के मसले पर कार्य करना चाहिए। इतना ही नहीं कश्मीर हिंसा में मारे गल लोगों के लिए मुआवजा और पैकेज जैसी घोषणाओं पर अमल करना चाहिए। दरअसल हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर में वातावरण अशांत हो गया है।
इतना ही नहीं प्रतिनिधिमंडल घाटी में शांति बहाल करने को लेकर प्रयास होने चाहिए। इतना ही नहीं हुर्रियत काॅन्फ्रेंस को जो निमंत्रण दिया जाएगा उस पर निर्णय हुर्रियत को ही करना होगा कि वह बैठक में शामिल होगा या नहीं। शिरोमणि अकाली दल के प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने इस मामले में कहा कि हिंसा के चलते जम्मू - कश्मीर की धर्मनिरपेक्ष पहचान खोई जा रही है।
उनका कहना था कि इस मामले में एक तरह की राजनीतिक संरचना की आवश्यकता है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में कहा कि विभिनन सदस्यों ने प्रस्तावित दौरे को लेकर अपना सुझाव दिया। यह एक सुखद बात रही। अब प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में जम्मू - कश्मीर के दौरे पर जाएगा।