चुनाव का मौसम आ गया है। जैसे—जैसे रिमझिम फुहारें गिर रही हैं, वैसे—वैसे चुनावी मुद्दों की बारिश भी होने लगी है। अभी तक राम मंदिर, विकास, देश की स्थिति और आरक्षण जैसे जुमलों को लेकर चुनावी दंगल खेला जाता था, लेकिन इस बार एक नया ही मुद्दा सामने आ रहा है। इस बार गाय पर राजनीति की बिसात बिछाई गई है।
अलवर मॉब लिंचिंग : राजनाथ सिंह ने कहा 84 के बाद सबसे बड़ी लिंचिंग
गौतस्करी के आरोप में अलवर में रकबर खान की हत्या से फैली आग पर सभी पार्टियां अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने की फिराक में हैं। चुनावों के पास आते ही एक बार फिर पार्टियों को गाय की याद आने लगी है। अखलाक से लेकर रकबर खान तक गौरक्षा के नाम पर हत्याओं को लेकर राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं के लिए पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था कि यह मोदी का 'नया क्रूर इंडिया' है, जहां पर इंसानियत पर नफरत बढ़ रही है। उनके इस ट्वीट के जवाब मे भाजपा नेताओं ने उन्हें नफरत का सौदागर बता दिया और नेहरू—गांधी परिवार को सबसे ज्यादा नफरत फैलाने वाला बताया।
अलवर मॉब लिंचिंग : पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा रकबर के शरीर में थीं गंभीर चोटें
अब फिर कांग्रेस ने इस मामले में पलटवार करते हुए 2014 से अब तक गौरक्षा के नाम पर हुई हत्याओं को लेकर एक ग्राफिक जारी किया है। इस ग्राफिक में कांग्रेस एक बार फिर अपनी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति को उजागर करती नजर आ रही है। अपने ग्राफिक में कांग्रेस ने गौरक्षा के नाम पर हत्याओं का जिक्र किया है, जिसमें सबसे ज्यादा मुस्लिम मारे गए हैं।
Looks like the BJP has been practicing inclusivity in the wrong field. #LynchRaj pic.twitter.com/RXxao2A7xB
— Congress (@INCIndia) July 24, 2018
ऐसे में यह सोचने वाली बात है कि वोट बैंक की इस राजनीति में महिला सुरक्षा, गरीबी, स्वास्थ्य, देश की सुरक्षा जैसे मुद्दे धूमिल हो गए हैं। सवाल यह है कि किसी मजलूम की लाश पर राजनीतिक बिसात बिछाना कहां तक उचित है?
जानकारी और भी