फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। जी हाँ और आप सभी जानते ही होंगे एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। वहीँ आमलकी एकादशी को आंवला एकादशी, आमलका एकादशी या रंगभरी एकादशी के नाम से जानते हैं। इसी के साथ रंगभरी एकादशी एकमात्र एकादशी है जिसका संबंध भगवान शंकर व माता पार्वती से है। जी दरअसल रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में विशेष पूजा होती है। कहा जाता है रंगभरी एकादशी के दिन भक्त अपने बाबा पर जमकर अबीर-गुलाल उड़ाते हैं। आप सभी को बता दें कि इस साल आमलकी एकादशी उदयातिथि के अनुसार 14 मार्च को मनाई जाएगी।
आमलकी एकादशी तिथि और मुहूर्त-
एकादशी तिथि आरंभ- 13 मार्च, रविवार प्रातः 10: 21 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त- 14 मार्च, सोमवार दोपहर 12:05 मिनट पर
रंगभरी एकादशी का शुभ मुहूर्त आरंभ- 14 मार्च, दोपहर 12: 07 मिनट से
रंगभरी एकादशी का शुभ मुहूर्त समाप्त-14 मार्च, दोपहर 12: 54 मिनट तक
क्यों कहते हैं रंगभरी एकादशी- जी दरअसल इस एकादशी का संबंध भगवान शंकर व माता गौरा से है। कहा जाता है यह वही दिन है जब भगवान शंकर माता पार्वती को काशी लेकर आए थे। जब बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना कराकर पहली बार काशी लाए थे, तो उनका स्वागत रंग व गुलाल से हुआ था। इसी वजह से आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी कहा जाता है।
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