भारत त्यौहारो की धरती है. और अब जल्द ही यहाँ नवरात्र के साथ दुर्गा पूजा महालय की शुरुआत होनी है. इस मौके को बेहद शुभ माना जाता है और पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. महालया अमावस्या की शुरुआत बंगालियों द्वारा की गयी थी इसके बाद ही दुर्गापूजा और नवरात्रि की शुरुआत होती है . कहा जाता है कि इस दौरान देवी दुर्गा ने बुराइयों के खिलाफ युद्ध का आगाज किया था. महालय दुर्गापूजा का पहला दिन होता है और इस बार नवरात्रि 21 से 29 सितम्बर के बीच है. महालय के साथ ही दुर्गापूजा और नवरात्रि की शुरुआत होती है. इस दिन को श्राद्ध का आखरी दिन भी माना जाता है.
ऐसे मनाये महालय
महालय वाले दिन अपने पूर्वजों को याद कर उन्हें श्रद्धाजंलि देने का प्रावधान है. जिसमें ब्राह्मणों को खाना, कपड़े और मिठाई आदि का दान दिया जाता है. इस दिन सूर्य उगने से पहले उठ पूजा मंडप में प्रार्थना कर खाना और कपड़े दान करने चाहिए. इस दिन पूर्वजों को अर्पित किया जाने वाला भोजन चांदी या तांबे के बर्तनों में बनाये जाने की बात कही जाती है. ब्राम्हणो के साथ खुद भी केले के पत्ते पर भोजन करने को शुभ माना जाता है. पूर्वजों को अर्पित किये जाने वाले भोजन में खीर, लपसी, चावल, दाल, बीन्स की सब्जी और सीताफल शामिल किए जाता है. ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शान्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद आप पर सदा बना रहता है.
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