हमारे देश में कई बड़े-बड़े मंदिर हैं जो कड़ी प्रसिद्द हैं. ऐसे ही एक मंदिर है तमिल नाडु का तिरुपति बालाजी, जो दुनिया भर में काफी प्रसिद्ध है और यहां दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. हम आपको बताने जा रहे हैं तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े अद्भुत तथ्यों के बारे में.
* तिरुपति बालाजी मंदिर में एक वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति है और इस मूर्ति के बारे में बोला जाता है की इस पर लगे बाल भगवान के असली बाल हैं जो ना कभी उलझते हैं और हमेशा मुलायम बने रहते हैं.
* इस मंदिर में एक छड़ी है और मान्यता के अनुसार यही वो छड़ी है जिससे भगवान की ठोड़ी पर चोट लगी थी और इसी के बाद से लोग इनके ऊपर हल्दी का लेप लगाने लगे. इसके अलावा बोला जाता है की इस छड़ी को भगवान के बाल रूप में उन्हें मारने के लिए उपयोग किया जाता था.
* तिरुपति बालाजी मंदिर मंदिर में लगी बालाजी की मूर्ति में हमेशा नमी बनी रहती है और अगर इस मूर्ति के पीछे ध्यान से आवाज सुनी जाये तो झरने की आवाज सुनाई देती है.
* इस मंदिर की मूर्ति पर जो भी तुलसी के पत्ते और फूल चढ़ाये जाते हैं वो वहां आये श्रद्धालुओं में ना बाँटकर वहां के पुजारियों द्वारा मंदिर परिसर के पीछे पुराने कुंड में फेंक दिए जाते हैं.
* तिरुपति बालाजी मंदिर मंदिर में लगी मूर्ति भी काफी अद्भुत है जब इसे मंदिर के अंदर से देखा जाता है तो वो बीच में लगती है लेकिन अगर बाहर से देखें तो लगता है ये दायीं तरफ है.
* बताया जाता है की 18वीं शताब्दी में एक राजा ने 12 लोगों की हत्या कर उन्हें इस मंदिर पर लटका दिया था और तभी से इस मंदिर को 12 सालों तक बंद रखा गया था लेकिन फिर वेंकटेश्वर स्वामी प्रकट हुए थे और तब से ये मंदिर उनके दर्शन के लिए फिर से खोल दिया गया.
* तिरुपति बालाजी मंदिर मूर्ति की एक अजीब सी खासियत है दरअसल ब्रहस्पति वार को मूर्ति पर सफेद चन्द्र से लेप किया जाता है और जब इस लेप को उतारा जाता है तब मूर्ति पर माता लक्ष्मी के चिन्ह बने हुए दिखाई देते हैं.
* इस मंदिर की मूर्ति की एक और बात चौंकाने वाली है, दरअसल इस मूर्ति पर चढाया जाने वाला पंचाई कर्पुरम एक ऐसा कपूर होता है जिसे अगर पत्थर पर रख दिया जाये तो पत्थर भी चटक जाता है लेकिन इस मंदिर की किसी भी मूर्ति पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता और इसे भगवान के चमत्कार से जोड़ कर देखा जाता है.
* इस मंदिर में एक जलता हुआ दीपक है जो सदियों से जल रहा है लेकिन कोई नहीं जानता की ये दीपक कब और किसके द्वारा जलाया गया था.
* इस मंदिर की मूर्ती पर जो भी पुष्पमालाएं चढ़ाई जाती हैं उन्हें मूर्ती के पीछे फेंक दिया जाता है और इसके पीछे मान्यता है की इनको देखना अशुभ और पाप है.
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