पुणे: केसर की खेती ठंडे राज्यों में ही की जाती है। मैदानी क्षेत्रों की जलवायु इसके लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है। हालांकि, इसे गलत सिद्ध कर दिखाया है पुणे के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने। सॉफ्टवेयर इंजीनियर शैलेष मोदक ने बिना मिट्टी के ही केसर की खेती करने का कारनामा कर दिखाया है।
शैलेष केसर को शिपिंग कंटेनर में हाइड्रोपोनिक तकनीक की सहायता से उगा रहे हैं। पहले उन्होंने स्ट्रॉबेरी की फसल के साथ ये परीक्षण किया था। परीक्षण पूर्ण रूप से कामयाब रहने के पश्चात् शैलेष ने ये केसर की खेती के लिए भी यही तकनीक अपनाई। वह आज केसर की खेती से ही लाखों का फायदा कमा रहे हैं। शैलेष ने बताया कि उन्होंने इसकी खेती के लिए एक बार 10 लाख रुपये निवेश किया था। पहली ही फसल से वो 5 लाख रुपये कमा चुके हैं। शैलेष ने केसर के बीज कश्मीर मंगाए थे। शिपिंग कंटेनर के जरिए 160 वर्ग फुट में इसकी खेती कर रहे हैं।
Maharashtra | Shailesh Modak, a software engineer in Pune started saffron cultivation in mobile containers
— ANI (@ANI) December 17, 2022
"I invested Rs 10 lakhs as one-time investment. For saffron farming, I brought seeds from Kashmir, using Aeroponic technology I grew saffron in just 160 sqft area," he said pic.twitter.com/K6xMcVyvPX
आपको बता दें कि शैलेश ने कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की है। उन्होंने कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम कर चुके हैं। अन्य तरीके से खेती करने की तुलना में हाइड्रोपोनिक तकनीक से किसानी में लागत भी बहुत कम आती है। इसकी खेती सिर्फ पानी या पानी के साथ बालू और कंकड़ में की जाती है। इस तरीके से खेती करने के लिए पौधों के विकास के लिए जलवायु का कोई विशेष किरदार नहीं होता है। इस तरीके से फार्मिंग के लिए आपको ज्यादा जगह की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। इस तकनीक से खेती करने पर आप कई ऐसे पौधों की खेती कर सकते हैं, जिन्हें सिर्फ विदेशों में उगाया जाता है।
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