नरसिंहपुर से संदीप राजपूत की रिपोर्ट
नरसिंहपुर। कोरोना काल में जहां लोगो को इतनी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ रहा था, जिसके लिए शासन प्रशासन ने अपनी पूरी ताकत लगाते हुए प्रदेश में कई जगह इमरजेंसी सुविधा के लिए अस्पताल बनाए, तो कहीं एम्बुलेंस बनवाई गई। जिसके उपयोग से जनता की सहायता की जा सके, कुछ जगह अस्थाई अस्पताल बनाए गए उसमे बेड लगाए गए। तो कई जगह इ रिक्शा में एम्बुलेंस बनाई गई पर बीमारी के जाने के बाद जब सब सामान्य हुआ तो इन सब चीजों का आखिर क्या हुआ होगा। ये जानने पूछने वाला कोई नहीं, अब यह सारा सामान कई जगह खंडर में पड़ा है तो कई चीजे खराब हो चुकी है, जिसके जिम्मेदार आखिर कौन है।
ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर के जिला चिकित्सालय से आया है, जहां कोरोना काल में मरीजों के लिए बनाई गई एंबुलेंस अब कबाड़ में पड़ी नजर आ रही है। कोरोना काल में बनाई गई एंबुलेंस कोरोना के जाते ही सीएमएचओ ऑफिस में अब अपनी शोभा बड़ा रही है। ई-रिक्शा को आख़िरकार एंबुलेंस के रूप में बनाने की जरूरत ही क्यूं पड़ी थी।
वजह क्या थी समझ से परे है, शासन की राशि का दुरुपयोग हुआ जिसका जिम्मेदार कौन है। अब देखना यह होगा कि इस ई-रिक्शा एंबुलेंस के माध्यम से किसी को क्या कोई लाभ पहुंचाया गया या कोई रिश्तेदारी निभाई गई है, या फिर शासन की योजना को चूना लगाया गया है।
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