नए अध्ययन में ग्लोबल वार्मिग के खतरों के प्रति आगाह करते हुए एक दावा किया गया है कि पिछली एक सदी में पृथ्वी का कुल तापमान जितना बढ़ा, उतना ताप अकेले आर्कटिक में केवल एक दशक में ही बढ़ गया है. ध्रुवों पर ग्लोबल वार्मिग के प्रभावों का आंकलन करने वाले इस अध्ययन में कहा गया है कि पिछले एक दशक में आर्कटिक का तापमान 0.75 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है. यह आंकड़ा बीते 137 सालों में तापमान में हुई कुल वृद्धि के बराबर है.
रूस में जलवायु परिवर्तन के कारण ध्रुवीय भालुओं ने गांव पर किया कब्जा, घर में कैद हुए लोग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जर्नल साइंस एडवांस में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में तापमान में वृद्धि का आर्कटिक और अंटार्कटिका के वन्य जीवन, टुंड्रा वनस्पति, मीथेन के रिसाव और बर्फ की चादरों पर पड़े प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया गया है. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (यूसी) डेविस के शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान यह भी जांच की गई कि यदि ग्लोबल वार्मिग के कारण पृथ्वी का तापमान दो डिग्री बढ़ता है तो इसका ध्रुवीय क्षेत्रों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है.
देश से लेकर विदेश तक में छाया हैदराबाद एनकाउंटर, निर्भया कांड का हुआ जिक्र
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यूसी डेविस में ‘जलवायु परिवर्तन पारिस्थितिकी’ को पढ़ाने वाले और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक एरिक पोस्ट ने कहा, ‘पिछले एक दशक में हुए कई बदलाव इतने नाटकीय हैं कि वे आपको आश्चर्यचकित करते हैं। साथ ही यह सोचने को मजबूर करते हैं कि गर्मी के कारण अगले दशक में पृथ्वी का स्वरूप कैसा हो सकता है.उन्होंने कहा कि यदि हम पुराने चित्रों को देखकर यह कल्पना करते हैं कि आज भी आर्कटिक का स्वरूप वैसा ही है तो यह बस खुद को समझाने वाली बात है. इसका स्वरूप लगातार बदल रहा है. ग्लोबल वार्मिग के कारण इसका परितंत्र भी काफी बदल गया है. यदि हम समय रहते इससे बचने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाते तो यह निश्चित है कि आज से कुछ दशकों बाद आप अपने बच्चों से कहेंगे कि आर्कटिक का यह हिस्सा कभी बर्फ से ढका रहता था.
पाक पर FATF की तलवार, पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में...
शादी नहीं करना चाहती चीनी महिलाएं, लेकिन माँ बनने के लिए तलाश रही विदेशी स्पर्म डोनर
ईरान परमाणु समझौता: इन 6 देशों की हुई बैठक, सभी पक्ष समझौते को लेकर प्रतिबद्ध