वाशिंगटन: अभी एक परेशानी से निजात मिल नहीं पाया है और अब फिर एक नई मुसीबत सामने आ गई वहीं एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि धूल में रहने वाले बैक्टीरिया ऐसे जीन फैला सकते हैं जो रोगाणुओं को एंटीबायोटिक्स का मुकाबला करने की क्षमता प्रदान करते हैं. जंहा विशेषज्ञों का कहना है कि इस अध्ययन की मदद से माइक्रोब्स यानी रोगाणुओं से बचने के लिए नई प्रतिरोधी दवाएं विकसित कर सकते हैं. वहीं पीएलओएस पैथोजंस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि हालांकि ज्यादातर बैक्टीरिया हानिकारक नहीं होते, फिर भी बीमारी होने पर ये जीन्स को फैलाते हैं और इनका संक्रमण इतना खतरनाक होता है कि इलाज करना मुश्किल हो जाता है. अमेरिका की नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और इस अध्ययन के सह-लेखक इरिका हार्टमन ने कहा, ' इसका मतलब यह नहीं है कि एंटीबायोटिक प्रतिरोधी दवाएं असर नहीं कर रही है. यह सिर्फ एक जोखिम वाला कारक है और इसके बारे में हमें सावधान रहने की आवश्यकता है.'
ऐसे फैलाते हैं जीन: जानकारी के मुताबिक बैक्टीरिया अपने जीन को विभाजित करके या क्षैतिज जीन स्थानांतरण (होरिजेंटल जीन ट्रांसफर) के माध्यम से फैला सकते हैं, जिसमें एक रोगाणु अपने जीन की एक प्रति बनाता है और अपने पड़ोसी जीन के साथ उसकी अदला-बदली कर लेता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीन्स को जीवों में प्रसारित करने का यह प्राथमिक और सबसे खतरनाक तरीका है. जंहा यह भी कहा जा रहा ही कि उन्होंने कहा कि इस विधि के जरिये बैक्टीरिया अलग-अलग तरीके के जीन्स को प्रसारित करते रहते हैं.
खतरनाक है धूल के माइक्रोब्स: वहीं हार्टमैन और उनकी टीम ने पहली बार पाया है कि धूल के माइक्रोब्स (रोगाणुओं) में खतरनाक जीन्स को फैलाने की क्षमता सबसे ज्यादा होती है. उन्होंने कहा कि अध्ययन के दौरान हमने पाया कि बैक्टीरिया एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीन को आसानी से प्रसारित करते हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि इसलिए जो लोग बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं उन्हें धूल से बचना चाहिए.
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