वाशिंगटन: बच्चों के लिए कोरोना वायरस का टीका विकसित करने पर काम आरंभ हो चुका है। अमेरिकी कंपनी फाइजर को सरकार ने बच्चों पर वैक्सीन का परीक्षण करने की इजाजत दे दी है। कंपनी अगले हफ्ते ट्रायल शुरू करेगी। सबसे पहले 16 व 17 वर्षीय किशोरों पर प्रयोगात्मक टीके का असर परखा जाएगा, फिर 12 से 15 साल की आयु के बच्चों पर यह परिक्षण किया जाएगा।
सिनसिनाटी बाल अस्पताल में टीका अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर डॉ. रॉर्बट फ्रेंक ने बताया है कि 90 अभिभावकों ने अपने बच्चों को इस ट्रायल में भेजने की इच्छा प्रकट की है। हम शुरुआत में दर्जन भर बच्चों पर वैक्सीन का प्रभाव देखेंगे, फिर बड़े समूह पर परीक्षण किया जाएगा। हमें ध्यान रखना होगा कि बच्चों व किशोरों में वायरस से मौत का खतरा कम जरूर है, लेकिन यह शून्य नहीं है। अकेले अमेरिका में 50 हजार बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित पाए चुके हैं। फ्रेंक के अनुसार, बच्चों में अबतक जितने केस आए हैं, असल में संक्रमण उससे अधिक है क्योंकि बच्चों में लक्षण बहुत गंभीर नहीं होते, इसलिए माता-पिता को सही अनुमान नहीं लग पाता।
पेनिसेल्विया विश्वविद्यालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पॉल ऑफिट ने कहा है कि बच्चों की शारीरिक संरचना अलग होती है। उन्हें ट्रायल वैक्सीन की खुराक देना घातक हो सकता है। यही वजह है कि कंपनियां प्रयोगात्मक वैक्सीन की खुराक पहले वयस्कों को देकर इसका प्रभाव जांचती हैं। फिर इसे किशोरों और उसके बाद छोटे बच्चों को दिया जाता है।
एक और कोरोना वैक्सीन लांच करेगा रूस, दूसरे टीके को किया पंजीकृत